Amit Shah In Rajya Sabha : 'मेरे भाइयों, आप जम्मू कश्मीर में...', कश्मीरी पंडितों को अमित शाह ने दी बड़ी गारंटी
Amit Shah On Kashmiri Pandits : अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवारों को आश्वस्त किया है कि उनके हरे अधिकार को सुनिश्चित किया जाएगा. इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार प्रतिबद्ध है.
Amit Shah On Kashmiri Pandit In Rajya Sabha: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निषप्रभावी किए जाने के केंद्र के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद अब कश्मीरी पंडितों की चर्चा भी तेज हो गई है. घाटी में उन्हें कब बसाया जाएगा इस बारे में सवालों के जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिए हैं. सोमवार (11 दिसंबर) को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा है कि केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
अमित शाह ने कहा है कि जम्मू कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के जो परिवार विस्थापित हुए हैं. इन्हें पुनः घाटी में बसाने, उनके लिए चुनाव लड़ना सुनिश्चित करने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार काम कर रही है.
शाह ने कहा, "मैं देश भर में बिखरे पड़े कश्मीरी पंडितों से कहना चाहता हूं... आपके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए हम काम कर रहे हैं. आप जम्मू कश्मीर में चुनाव भी लड़ सकेंगे, जीतेंगे भी और विधानसभा में भी जाएंगे." शाह ने कहा, "आप राज्य सरकार को लिखिए, मुझे लिखिए. बिना किसी बाधा आपको रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा. आप वोट दे सकेंगे और लड़ भी सकेंगे."
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जम्मू कश्मीर में 42 हजार लोग मारे गए"
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उच्च सदन में कहा, "हमें यह समझना चाहिए कि जम्मू कश्मीर में 42 हजार लोग मारे गए - वे लोग क्यों मारे गए, सवाल हिंदू मुसलमान का नहीं है." गृहमंत्री ने धारा 370 को जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने राज्य सभा में कहा कि कश्मीर से ज्यादा मुसलमान गुजरात में, उत्तर प्रदेश में, बिहार में हैं. कश्मीर से ज्यादा मुसलमान असम में भी है, क्यों वहां अलगाववाद आतंकवाद नहीं हुआ. बॉर्डर का भी सवाल नहीं है - राजस्थान और गुजरात का बॉर्डर भी पाकिस्तान से लगता है, लेकिन कश्मीर में क्यों हुआ, क्योंकि धारा 370 अलगाववाद को बढ़ावा देती थी. और अलगाववाद के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद हुआ.
गलत फैसले को देश हित में सुधारने की नसीहत
शाह ने जवाहरलाल नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि कितने भी बड़े आदमी से गलत फैसला हो सकता है, लेकिन जब इतिहास सिद्ध कर दे, समय सिद्ध कर दे की फैसला गलत है तो देश हित में वापस ले लेना चाहिए. उन्होंने कांग्रेस से कहा कि अगर अभी भी इस फैसले के साथ चिपक के रहना चाहते हो तो देश की जनता देख रही है और 2024 में दो-दो हाथ भी हो जाएंगे और जनता का परिणाम भी आ जाएगा.
" अपने ही देश में विस्थापित हो गए कश्मीरी पंडित"
शाह ने कहा कि 80 के दशक से आतंकवाद की शुरुआत हुई और 1989 से यह चरम पर पहुंचा. ढेर सारे कश्मीरी हिंदू, विशेष तौर पर कश्मीरी पंडित, अनेक सिख भाई घाटी छोड़कर पूरे देश भर में बिखर गए. वे ऐसे बिखरे कि अपने ही देश में विस्थापित हो गए. जिनके पास अरबो खरबो की संपत्ति थी वे दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो गए. गृहमंत्री ने बताया कि यह कोई छोटा आंकड़ा नहीं है. 46,631 परिवार पंजीकृत हैं जो वहां से विस्थापित हुए हैं. इसके अलावा एक लाख 57 हजार 967 लोगों अभी तक रजिस्टर्ड हुए हैं.
"देश भर में बिखरे पड़े कश्मीरी पंडितों..."
अमित शाह ने कहा कि मैं सदन के माध्यम से आज देश भर में बिखरे सभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों व अन्य लोगों को कहना चाहता हूं कि सरकार आपको न्याय देने के लिए प्रतिबद्ध है. आप हमें बताइए हम तुरंत आपको रजिस्टर्ड करेंगे और आप जम्मू-कश्मीर में चुनाव भी लड़ सकते हो वहां मंत्री बनकर भी जा सकते हो. "
अमित शाह ने बताया कि अब तक 1947, 1965 और 1971 के युद्ध में लगभग 41,844 परिवार विस्थापित हुए हैं. उनके लिए भी भारत सरकार ने काम किया है. उन्होंने बताया कि तीन सीटें - दो जम्मू कश्मीर से विस्थापित परिवारों के लिए और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित होकर आए कश्मीरी भाइयों के लिए - आरक्षित की गई हैं.
POK हमारा अभिन्न अंग
गृहमंत्री कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जम्मू की 37 सीटें थीं. यह सीटें अब बढ़कर 43 हो गई हैं. वहीं विधानसभा में कश्मीर से 46 सीटें थीं, वह बढ़कर अब 47 हो गईं है. दोनों को मिलाकर 83 सीटें थी जो अब 90 होने जा रही हैं. उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है इसलिए वहां के लिए 24 सीटें आरक्षित रखी हैं. यानी नए बदलावों से पहले जहां जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं वहीं अब बढ़कर 114 हो गई हैं.