लोकसभा में एमसीडी एकीकरण बिल पर चर्चा शुरू हो गई है. आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि वह एमसीडी के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. इसके कारण सारे नगर निगम अपने दायित्वों को निर्वहन करने के लिए खुद को पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं पाते हैं.


उन्होंने कहा, ''केंद्र सरकार तीन नगर निगम को एक बना रही है. पहले ये बंटवारा आनन-फानन में और राजनीतिक उद्येश्य से किया गया था. तीनों निगमों के दस साल चलने के बाद नीतियों के बारे में एकरूपता नहीं है. नीतियों को निर्धारित करने की ताकत अलग-अलग निगमों के पास है. कार्मिकों के बीच भी असंतोष नजर आय़ा है. तब सोच-समझकर बंटवारा नहीं किया गया था. जो लोग चुनकर आते हैं, उन्हें निगम चलाने में परेशानी होती है.''


उन्होंने कहा, ''जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि दिल्ली सरकार सौतली मां जैसा व्यवहार कर रही है. इसलिए जो बिल लेकर आया हूं, दिल्ली नगर निगम को एक किया जाए. एक निगम दिल्ली का ध्यान रखेगी. दिल्ली के पार्षदों की संख्या 272 से सीमित कर ज्यादा से ज्यादा 250 किया जाएगा.''


राष्ट्रीय राजधानी में तीनों नगर निगमों का आपस में विलय करके उन्हें एक एकीकृत इकाई बनाने संबंधी विधेयक पिछले शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया था. विपक्ष का दावा है कि यह कदम संसद की विधायी क्षमता के परे है. वर्तमान में दिल्ली में तीन नगर निगम - उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) हैं, जिनमें कुल 272 वार्ड हैं. एनडीएमसी और एसडीएमसी में से प्रत्येक में 104 वार्ड हैं, जबकि ईडीएमसी में 64 वार्ड हैं.


आम आदमी पार्टी केंद्र के बिल का विरोध कर रही है. पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एकीकृत करने के लिए संसद में पेश किए गए विधेयक का अध्ययन करेंगे और अगर जरूरत पड़ी, तो इसे अदालत में चुनौती देंगे.


राज्यसभा में गडकरी ने की ऐसी टिप्पणी कि सदस्य रोक नहीं पाए अपनी हंसी