दक्षिण में कमल खिलाने के लिए बीजेपी ने कसी कमर, सियासी बिसात बिछाने तमिलनाडु पहुंचे शाह
राज्य में तूतीकोरिन गोलीकांड और चेन्नई सेलम रोड प्रोजेक्ट के अलावा कई अन्य मुद्दों पर राज्य सरकार और बीजेपी के खिलाफ जिस तरह से गुस्सा उमड़ा उसके बाद विकास कार्यों जैसे, तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर, ऐम्स अस्पताल जैसे विकास कार्यों को आगे लाकर घर घर तक लोगों तक पहुंच कर मोदी सरकार के कार्यों को पहुंचाने की कोशिश करेंगे.
नई दिल्ली: दक्षिण में कमल खिलाने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है. कर्नाटक में भले ही सरकार बनाने से चूक गई हो लेकिन अच्छे प्रदर्शन के साथ बीजेपी के हौसले बुलंद दिखाई दे रहे हैं. 2019 मिशन की तैयारी में जुटे अमित शाह आज तमिलनाडु में कमल खिलाने की स्ट्रेटजी के साथ चेन्नई पहुंचे, जहां एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत हुआ. जिसके बाद वे बूथ लेवल से लेकर विधानसभा लेवल तक के कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात कर तमिलनाडु में बीजेपी के जमीन और मजबूत करने और लोकसभा चुनाव में अच्छी सीटें जीतने के लिए अपना प्लान तैयार करेंगे.
बीजेपी अध्यक्ष पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए वीजीपी रिजॉर्ट में पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे. शाह तमिलनाडु के साथ-साथ पुडुचेरी और अंडमान से भी आए लोगों से मुलाकात करेंगे. शाह तीन बजे गोल्डन बीच रिजॉर्ट में ही बूथ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे. शाम 6 बजे महाशक्ति केंद्र और शक्ति केंद्र के साथ मुलाकात करेंगे.
तमिलनाडु में बीजेपी हमेशा से ही कमजोर रही है हालांकि पहली बार बीजेपी ने अपनी गतबंधन पार्टियों के साथ मिलकर 2014 लोकसभा में 2 सीटें जीती थीं. जिसमें से एक बीजेपी ने और एक गठबंधन पार्टी पीएमके ने जीती थी. बीजेपी अध्यक्ष इस बैठक में 2019 के लिए गठबंधन तैयार करने पर भी चर्चा कर सकते हैं. जिसमें एआईएडीएमके के साथ गठबंधन करने, जिसे अभी भी बैक डोर से बीजेपी कि पार्टी जी माना जा रहा है. साथ ही रजनीकांत, जिन्होंने राजनीति में एंट्री की है उन्हें किस तरह से अपने पाले में लाए इस पर भी चर्चा हो सकती है. बता दें कि बीजेपी पिछले कई महीनों से रजनीकांत को पार्टी के साथ लाने की कवायद में जुटी है.
दूसरी ओर राज्य में तूतीकोरिन गोलीकांड और चेन्नई सेलम रोड प्रोजेक्ट के अलावा कई अन्य मुद्दों पर राज्य सरकार और बीजेपी के खिलाफ जिस तरह से गुस्सा उमड़ा उसके बाद विकास कार्यों जैसे, तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर, ऐम्स अस्पताल जैसे विकास कार्यों को आगे लाकर घर घर तक लोगों तक पहुंच कर मोदी सरकार के कार्यों को पहुंचाने की कोशिश करेंगे.
आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा ना देने के बाद टीडीपी के साथ गठबंधन टूटने के बाद और कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के साथ आने के बाद पार्टी के लिए दक्षिण में चुनौतियां बढ़ गई है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अमित शाह का मिशन साउथ 2019 के लिए कितना कारगर साबित होता है.