नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दुनिया के अंदर के सूचना के अधिकार (आरटीआई) का कानून बनाकर लगता है कि पूर्ति हो गयी लेकिन मोदी सरकार चाहती है कि ऐसा प्रशासन दें कि आरटीआई के आवेदन कम आएं. यही कोशिश है. स्थिति ऐसी हो कि लोगों को कम आरटीआई लगाना पड़े. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 14वें वार्षिक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि 1990 तक केवल 11 ही देशों में आरटीआई का कानून था और सूचना का अधिकार प्राप्त था. वैश्वीकरण, आर्थिक उदारीकरण और तकनीक के इनोवेशन के युग की शुरुआत होते ही ये संख्या बढ़ने लगी.


गृहमंत्री ने कहा कि आरटीआई कम हो, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसा प्रशासन देने की कोशिश की है. सूचना के अधिकार के साथ दायित्व का बोध भी जगाना चाहिए. सूचना के अधिकार से पहले सूचना मिल जाए ऐसा प्रयास है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आरटीआई एक्ट की कल्पना की गई होगी उसे लगभग अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में हमारा देश सफल रहा है. एक लाख 50 हजार पुरानी फाइल को डिजिटल किया है. 90 फीसदी थाने ऑनलाइन हैं. आरटीआई एक्ट का मूल प्रावधान व्यवस्था के अंदर जनता का विश्वास खड़ा करना है. ये विश्वास जनता में जागृत करना यही इस कानून का प्रमुख उद्देश्य है.


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अमित शाह ने आगे कहा कि आरटीआई की वजह से कई देशों में अच्छे प्रशासनिक बदलाव देखने को मिले हैं जिसमें भारत भी एक देश है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग से लेकर हर राज्य में सूचना आयोग की स्थापना की गई है. इस अधिनियम के तहत लगभग 5 लाख से ज्यादा सूचना अधिकारी इस कानून का निर्वहन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत विश्व में पहला ऐसा देश है जो नीचे तक सूचना तंत्र की रचना करने में सफल हुआ है और एक जवाबदेह सूचना तंत्र का गठन कर पाया है.


गृहमंत्री ने आगे कहा कि जनता में विश्वास जागरूक करना यही इसका मकसद है. विश्वास बढ़ने से सहभागिता बढ़ती है. पहले सरकार का उद्देश्य जनता का सेवा करना नहीं बल्कि अपने आकाओं के आकांक्षाओ को पूरा करना था. अमित शाह ने कहा कि सरकार के हर कदम की जानकारी जनता को देनी चाहिए. आरटीआई का कानून बना तब बहुत आशंका थी लेकिन इसका दुरूपयोग कम सदुपयोग ज्यादा हुआ है.


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