आपराधिक मामलों को सुलझाने के लिए किसी भी सीमा को बाधा न मानें एजेंसियां :केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि तीनों नए कानूनों के लागू होने पर किसी भी एफआईआर के बाद अधिकतम 3 साल में न्याय मिल जाएगा. इस दौरान वहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी मौजूद थीं.
Amit Shah News: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार (4 फरवरी) को कहा कि अपराध और अपराधी भौगोलिक सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं. इस वजह से विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों को किसी भी सीमा को बाधा न मानकर आपराधिक मामलों को सुलझाने के लिए इन सीमाओं को अहम बिंदु के रूप में देखना चाहिए.
गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रमंडल कानूनी शिक्षा संघ (सीएलईए) राष्ट्रमंडल अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल सम्मेलन (सीएएसजीसी) को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि जब हाल ही में बनाए गए तीन आपराधिक न्याय कानून लागू हो जाएंगे, तो प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर ही लोगों को हाईकोर्ट के स्तर तक न्याय मिल सकता है.
उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब वाणिज्य और अपराध के मामलों में भौगोलिक सीमाओं का कोई मतलब नहीं रह गया है. केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि न्याय मिलने की प्रक्रिया के लिए सीमा पार चुनौतियां मौजूद हैं, लेकिन वाणिज्य, संचार, व्यापार और अपराध के लिए कोई सीमा नहीं है.
'अपराधी नहीं करते भौगोलिक सीमाओं का सम्मान'
उन्होंने कहा, ‘‘अपराध और अपराधी भौगोलिक सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं. इसलिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भौगोलिक सीमाओं को बाधा नहीं मानना चाहिए. भविष्य में आपराधिक मामलों के समाधान के लिए भौगोलिक सीमाएं एक अहम बिंदु होनी चाहिए.’’
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकारों को इस दिशा में काम करने की जरूरत है, क्योंकि साइबर धोखाधड़ी के छोटे मामलों से लेकर वैश्विक संगठित अपराध तक, स्थानीय विवाद से लेकर सीमा पार विवाद तक, स्थानीय अपराध से लेकर आतंकवाद तक, सभी में कुछ न कुछ संबंध हैं.
'तीन साल के भीतर होगा न्याय'
उन्होंने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा, "तीन नए कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भारत में दुनिया की सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली होगी. ये कानून क्रमशः औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.
उन्होंने कहा, "सरकार ने इस मॉडल पर काम किया है कि न्याय के अनिवार्य रूप से तीन पहलू होने चाहिए- सुलभ, किफायती और जवाबदेही. मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इन तीन कानूनों के लागू होने के बाद देश में दर्ज किसी भी प्राथमिकी के मामले में हाईकोर्ट के स्तर तक तीन साल के भीतर न्याय होगा.’’
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