नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कुछ जो रिएक्शन आ रहे हैं उसके दो कारण हैं. कुछ राजनीतिक पार्टियां हिंदू-मुस्लिम के बीच में इससे भेद बनाना चाहती हैं. दूसरा कारण इनके अपप्रचार से भ्रांति खड़ी हुई है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को वापस नहीं लिया जाएगा.
शाह ने कहा, ''नागरिकता कानून पर पीछे हटने का कोई सवाल नहीं, सरकार इसे लागू करने के लिए चट्टान की तरह दृढ़ है. नागरिकता संशोधन कानून कानूनी कसौटी पर खरा उतरेगा.'' बता दें कि कांग्रेस, बीएसपी, सीपीएम समेत कई विपक्षी पार्टियां कानून को वापस लिए जाने की मांग कर रही हैं.
अमित शाह ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाया कि वह झूठ फैला रही है. अमित शाह ने कहा, ''मैं अभी भी कह रहा हूं कि इसका मेन कारण एक अपप्रचार है जो कांग्रेस और कुछ राजनीतिक दलों ने चलाया है. नागरिकता संशोधन बिल में कहीं पर भी किसी की नागरिकाता वापस लेने का प्रावधान है ही नहीं, इसमें नागरिकता देने का प्रावधान है.''
'मुसलमान के साथ अन्याय नहीं होगा'
बीजेपी अध्यक्ष ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ''जो इस देश का नागरिक हैं, उसे डरने की जरूरत नहीं है, इस देश के नागरिक एक भी मुसलमान के साथ अन्याय नहीं होगा, मैं इसका विश्वास दिलाता हूं.'' उन्होंने आगे कहा, ''मेरा सभी विरोध करने वालों को चैलेंज है कि आप देश की जनता के सामने कहिए कि आप पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के जो मुसलमान भारत आना चाहते हैं उसे भारत को स्वीकार कर लेना चाहिए. अगर नहीं कह सकते तो इसका विरोध न करें.''
अमित शाह ने जामिया में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन और हिंसा का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ''मैं इतना पूछना चाहता हूं कि आप पथराव करोगे, आग लगाओगे तो पुलिस एक्शन नहीं लेगी तो क्या करेगी?'' अमित शाह ने यह भी कहा कि कार्रवाई छात्रों के खिलाफ नहीं, बल्कि तोड़फोड़ में शामिल लोगों पर हो रही है.
नागरिकता संशोधन कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न सहने वाले और 31 दिसम्बर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं बल्कि भारतीय नागरिक माना जाएगा.
विरोध प्रदर्शन तेज
इसी कानून के खिलाफ देश के कई इलाकों में छात्रों और विपक्षी नेताओं ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है और मंगलवार को भी हिंसक झड़पों के सिलसिले में 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया. राष्ट्रीय राजधानी और केरल समेत कुछ इलाकों में हिंसक प्रदर्शनों के ताजा मामले सामने आए हैं. जामिया के घायल छात्रों के एक समूह ने रविवार को नये कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा कथित कार्रवाई के दौरान “बर्बर” पिटाई, प्रताड़ना और अपमान का आरोप लगाया.
पुलिस ने कहा कि उसने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के निकट हुई हिंसा में कथित भूमिका के सिलसिले में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन इनमें से कोई भी छात्र नहीं है. पुलिस ने रविवार को करीब 50 छात्रों को हिरासत में लिया था लेकिन उन्हें बाद में छोड़ दिया गया था.
विश्वविद्यालय रविवार को एक तरह से जंग के मैदान में बदल गया था जब रविवार को पुलिस ने परिसर में दाखिल होकर बल प्रयोग किया. इस दौरान इलाके में हुई हिंसा में डीटीसी की चार बसों में आग लगा दी गई थी, 100 निजी वाहनों और पुलिस की 10 मोटरसाइकिलों को भी नुकसान पहुंचाया गया था.
विश्वविद्यालय में मंगलवार को भी स्थिति तनावपूर्ण बनी रही. छात्र और स्थानीय लोग हाथों में तिरंगा और तख्तियां लेकर विश्वविद्यालय के बाहर नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे. भीषण ठंड के बीच इन लोगों ने विश्वविद्यालय के बाहर मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
राष्ट्रीय राजधानी के सीलमपुर इलाके में नाराज प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई. उन्होंने पुलिस पर पथराव किया और कई बसों को नुकसान पहुंचाया जबकि पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे.
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