नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को 6 महीने के लिए बढ़ाने और दूसरा राज्य में लागू आरक्षण के कानून में संशोधन का प्रस्ताव चर्चा के बाद पास हो गया. चर्चा के दौरान कांग्रेस ने बिल का विरोध किया, कांग्रेस ने कहा कि चुनाव से बचने के लिए सुरक्षा का बहाना बनाकर सरकार राष्ट्रपति सासन को बढ़ा रही है. चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा. अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर पर गलत नीतियों की सजा देश भुगत रहा है. इसके साथ ही धारा 370 को लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा.


अमित शाह ने कहा, ''जवाहर लाल नेहरू उस वक्त के प्रधानमंत्री थे, सीजफायर करके वो हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया. हमें इतिहास सिखाते हैं. आरोप लगाते हैं कि प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, इसको भरोसे में नहीं लिया, उसको भरोसे में नहीं लिया. जवाहरलाल नेहरू जी ने देश के गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री को भरोसे में लिए बगैर ये कर दिया.''


गृहमंत्री ने आगे कहा, ''अगर भरोसे में लेते तो ये पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत के हाथ में होता, हमारा कब्जा होता. इसको वापस लाने में इतनी जद्दोजहद नहीं होती और शायद भरोसे में लेते तो आतंकवाद का मूल ही नहीं होता. उस भूल के कारण आज देश को सजा भुगतनी पड़ रही है. वो भूल के कारण आज हजारों लोग मारे गए हैं. वो भूल के कारण आज देश आतंकवाद का भोग बना है, क्यों ना दे जवाब?''





धारा 370 को लेकर अमित शाह ने कहा, ''मैं मानता हूं कि 370 है लेकिन आप शायद भूल गए हैं कि ये अस्थाई है, पर्मानेंट नहीं है. आप या तो अस्थाई शब्द को भूल गए हैं या फिर इसे पढ़ते नहीं हैं. 370 हमारे संविधान का अस्थाई मुद्दा है, ये याद रखिएगा. ये शेख अब्दुल्ला साहब की सहमित से ही हुआ है. हमारी सरकार की जम्मू कश्मीर को लेकर अप्रोच में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हम भारत को सुरक्षित, संवृद्ध और विकसित बनाने की अप्रोच जस की तस बनी रहेगी.''


इसके साथ ही गृहमंत्री ने कहा, ''हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं. 70 साल बाद जम्मू कश्मीर की माताओं को टॉयलेट, गैस का कनेक्शन और घर दिया है. वहां के लोगों को सुरक्षा दी है, ये इंसानियात है.'' उन्होंने कहा, ''जहां तक जम्हूरियत की बात है तो जब चुनाव आयोग कहेगा तो तब शांति पूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएंगे. आज वर्षों बाद ग्राम पंचायतों का विकास चुनकर आए पंच और सरपंच कर रहे हैं, ये जम्हूरियत है. और कश्मीरियत खून बहाने में नहीं है. कश्मीरियत देश का विरोध करने में नहीं है. कश्मीरियत देश के साथ जुड़े रहने में है. कश्मीरियत कश्मीर की भलाई में है. कश्मीर की संस्कृति को बचाने में है''