Amit Shah Speech: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन और आरक्षण बिल पर गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक उन सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए लाया गया है जिनकी 70 साल तक अनदेखी की गई और जिन्हें अपमानित किया गया.
अमित शाह ने बिना नाम लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि कुछ लोगों को भाषण लिखकर दे दिया जाता है और वह एक ही भाषण को बार-बार छह महीने तक पढ़ते रहते हैं. वह इतिहास नहीं देखते हैं.
अमित शाह ने कहा कि करीब 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग जम्मू कश्मीर से देशभर में विस्थापित होने को मजबूर हुए. यह विधेयक इन लोगों को अधिकार दिलाने और उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है. उन्होंने कहा, ''अगर वोट बैंक के बारे में सोचे बिना शुरुआत में ही आतंकवाद से निपटा जाता तो कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर नहीं जाना पड़ता.''
गृहमंत्री ने कहा, "कुछ लोगों ने इसे कमतर आंकने की भी कोशिश की. मैं उन सभी से कहना चाहूंगा कि अगर हमारे अंदर थोड़ी सी भी सहानुभूति है तो हमें देखना होगा कि नाम के साथ सम्मान जुड़ा हुआ है.''
कांग्रेस पर साधा निशाना
अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों को भाषण लिखकर दे दिया जाता है और वो एक ही भाषण को बार-बार छह महीने तक पढ़ते रहते हैं. वो इतिहास नहीं देखते हैं.
'पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता नहीं दी गई'
अमित शाह ने कहा, ''पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 वर्षों से संवैधानिक मान्यता नहीं दी, नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी." इतना ही नहीं मोदी की सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10 प्रतिशत आरक्षण भी दिया.
'कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग का विरोध किया'
उन्होंने कहा, "काका कालेलकर की रिपोर्ट को रोक कर रखा. मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं किया और जब लागू करने की बात हुई तो राजीव गांधी ने इसका विरोध किया. पिछड़े वर्ग का सबसे बड़ा विरोध कांग्रेस पार्टी ने किया है."
कश्मीर में कंकड़ भी नहीं चला
अमित शाह ने कहा, 'कुछ लोग कहते थे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद खून की नदियां बहेंगी, वहां एक कंकड़ भी नहीं चले." उन्होंने कहा कि 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और वह भयावह था, जो लोग इस भूमि को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी को उनकी परवाह नहीं थी. इसे रोकने के लिए जिम्मेदार लोग इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे. "
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