लखनऊ: सोनिया गांधी के गढ़ में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कल रैली कर रहे हैं. उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे. यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को भी मौजूद रहने को कहा गया है. रैली में भीड़ जुटाने के लिए सांसद और विधायक जुटे हुए हैं. अमित शाह की सभा के बहाने बीजेपी रायबरेली में अपनी ताकत दिखाना चाहती है. रैली के बारे में फ़ैसला तो बीजेपी अध्यक्ष ने लखनऊ के पिछले दौरे में ही ले लिया था. कर्नाटक में चुनाव प्रचार छोड़ कर अमित शाह, सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में आ रहे हैं तो इसके राजनीतिक नफा-नुकसान की चर्चा तो जरूर होगी.


कांग्रेस के एमएलसी दिनेश सिंह को बीजेपी में शामिल कराया जाएगा


अमित शाह आख़िर रायबरेली में क्यों रैली कर रहे हैं? इसके दो जवाब हैं. कांग्रेस के एमएलसी दिनेश सिंह को बीजेपी में शामिल कराया जाएगा. उनके एक भाई राकेश सिंह कांग्रेस से विधायक हैं, वे अभी वहीं बने रहेंगे. पार्टी छोड़ने पर उनकी सदस्यता जा सकती है. दिनेश के एक भाई अवधेश ज़िला पंचायत अध्यक्ष हैं. इस परिवार का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए एक झटका है. सोनिया गांधी के क़रीबी रहे दिनेश को पार्टी ने दूसरी बार एमएलसी बनाया है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से कांग्रेस पर हमले करने में वे असरदार हो सकते हैं.


पिछले 14 सालों से रायबरेली की सांसद हैं सोनिया गांधी


सोनिया गांधी पिछले 14 सालों से रायबरेली की सांसद हैं, लेकिन क्या वे अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगी?  उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है. उनकी ग़ैरहाज़िरी में रायबरेली में कांग्रेस का कामकाज खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी देखते हैं. इसी हफ़्ते मां-बेटे ने जिले का दौरा भी किया था. अगर सोनिया गांधी नहीं तो फिर चुनाव कौन लड़े? चर्चा प्रियंका गांधी वाड्रा की भी होती रही है. इस बात को लेकर तस्वीर साफ़ नहीं हुई है लेकिन बीजेपी ने सोनिया गांधी के गढ़ में कांग्रेस को घेरने की तैयारी तेज कर दी है.


रायबरेली की 5 विधानसभा सीटों में से तीन पर बीजेपी और एक-एक सीट पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का कब्जा है. पिछली बार सोनिया गांधी को 5 लाख 26 हज़ार वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार को सिर्फ़ 1 लाख 73 हज़ार वोट ही मिले थे. पड़ोस के अमेठी लोकसभा क्षेत्र में पिछला मुक़ाबला दिलचस्प रहा था. राहुल गांधी और बीजेपी की स्मृति ईरानी के बीच एक लाख वोटों का ही अंतर था.