Amit Shah On Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र में बुधवार (20 सितंबर) को महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) लोकसभा से पास हो गया. इससे पहले बिल पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि शपथ लेने के बाद से महिला सुरक्षा, सम्मान, समान भागीदारी सरकार की जीवन शक्ति रही है. यह विधेयक देश में निर्णय लेने और नीति निर्धारण में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करेगा.
उन्होंने पीएम मोदी को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री ने मातृ शक्ति को सम्मानित करने का काम किया है. इस बिल के सदन से पास होते ही कानून बन जाएगा. लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में एक-तिहाई स्थान नारी शक्ति के लिए आरक्षित हो जाएगा.
संगठन में महिलाओं के लिए आरक्षण
अमित शाह ने बताया कि जब पीएम मोदी गुजरात में पार्टी संगठन का काम करते थे तो उन्होंने पार्टी की कार्यकारिणी में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुरक्षित किया था. उन्होंने दावा किया कि ऐसा करने वाली बीजेपी पहली और आखिरी पार्टी है.
बच्चियों की पढ़ाई के लिए उपहारों की नीलामी
उन्होंने कहा, "जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने फैसला किया था कि उन्हें सीएम पद पर रहते जो भी भेंट मिलेगी उसकी नीलामी होगी और उसका पैसा बच्चियों की पढ़ाई में खर्च होगा. देश की जनता ने 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का फैसला किया."
बेटियों की पढ़ाई के लिए दी सैलरी
गृहमंत्री ने बताया, "जब बीजेपी ने 2014 में सरकार बनाई तो नरेंद्र मोदी ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और उस समय उनके अकाउंट में सीएम के रूप में जो सैलरी आती थी, उसे सचिवालय की थर्ड और फोर्थ ग्रेड की कर्मचारियों की बेटियों की पढ़ाई के लिए खर्च किया गया."
महिलाओं को मिलेगा अपना हिस्सा
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने पूरे विश्व के सामने वूमेन लेड डेवलपमेंट की बात रखी और इस नए युग का श्रीगणेश इसी बिल से हो रहा है. इसके साथ ही इस देश की मां और बेटी न केवल नीतियों के अंदर अपना हिस्सा पाएंगी. बल्कि नीति निर्धारण करने में अहम भूमिका निभाएंगी.
'महिला सशक्तिकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं'
गृहमंत्री ने कहा, "कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तिकरण एक राजनीतिक मुद्दा हो सकता है, कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तिकरण का नारा चुनाव जीतने का हथियार हो सकता है, लेकिन मेरी पार्टी और मेरे नेता नरेंद्र मोदी के के लिए महिला सशक्तिकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं, मान्यता का सवाल है."
यह भी पढ़ें-