कर्नाटक में 'ठंडी खीर' खाने के मूड में बीजेपी, अमित शाह ने नेताओं से कहा- जल्दबाजी की जरूरत नहीं
पार्टी सूत्रों की मानें तो अचानक इस प्लान में बदलाव किए जाने के पीछे दो बड़ी वजह है. पहला बागी विधायकों की अयोग्यता का मामला जो स्पीकर के पास फैसले के लिए लंबित है. दूसरा कर्नाटक के सियासी संकट को लेकर व्हिप के संवैधानिक अधिकार के हनन का एक मामला जो कांग्रेस और जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है.
नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिरने के बाद से राज्य के नेता जल्द से जल्द सरकार बनाना चाहते हैं. लेकिन बीजेपी का केंद्रीय नेतृ्तव जल्दबाजी में नजर नहीं आ रहा है. सरकार गठन की तैयारियों में जुटे कर्नाटक बीजेपी के कई नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की.
जानकारी के मुताबिक अमित शाह ने नेताओं से कहा कि जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है, बागी विधायकों पर स्पीकर के फैसले का इंतजार करना चाहिए. दोपहर 3.30 बजे एक बार फिर नेता अमित शाह से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे. कर्नाटक से आए बीजेपी नेताओं के साथ जगदीश शेट्टार, बस्वराज बोम्मई और अरविंद लिंबावली ने भी पार्टी अध्यक्ष से मिले.
क्यों सरकार बनाने के फैसले में देरी कर रहा है बीजेपी शीर्ष नेतृत्व? विश्वास मत प्रस्ताव में फेल होने के बाद बीजेपी तुरंत सरकार बनाने के मूड में थी. जानकारी के मुताबिक बीएस येदियुरप्पा ने पंडितों को बुलाकर शपथ ग्रहण के लिए गुरुवार दोपहर तीन बजकर 28 मिनट से 3 बजकर 48 मिनट का वक्त या फिर शुक्रवार शाम 4 बजे का मुहूर्त भी निकलवा लिया था. लेकिन अब पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद येदियुरप्पा के पास इंतजार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. लेकिन ऐन मौके पर बीजेपी ने अपने फैसले में बदलाव कर दिया.
पार्टी सूत्रों की मानें तो अचानक इस प्लान में बदलाव किए जाने के पीछे दो बड़ी वजह है. पहला बागी विधायकों की अयोग्यता का मामला जो स्पीकर के पास फैसले के लिए लंबित है और दूसरा कर्नाटक के सियासी संकट को लेकर व्हिप के संवैधानिक अधिकार के हनन का एक मामला जो कांग्रेस और जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है. बीजेपी आलाकमान इस बात की तसल्ली कर लेना चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट और स्पीकर क्या फैसला करते हैं. क्योंकि आलाकमान को इस बात का एहसास है कि कर्नाटक में सरकार बना लेना बहुत आसान है लेकिन अगर बागी विधायकों को लेकर BJP के पक्ष में फैसला नहीं हुआ तो सरकार को चलाना काफी मुश्किल हो जाएगा.
कांग्रेस-जेडीए पाले में क्या चल रहा है? सरकार से बाहर हो जाने के बाद आज कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में कांग्रेस के नेताओं ने भी बैठक की. वहीं जेडीएस अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने भी पार्टी मुख्यालय जेपी भवन में अपने विधायकों के साथ बैठक की. कांग्रेस ने आने वाले समय में बनाई जाने वाली रणनीति पर चर्चा की. चर्चा इस बात पर भी हुई कि क्या सरकार के गिर जाने के बावजूद जेडीएस के साथ दोस्ती कायम रहेगी.
वहीं जेडीएस ने एकला चलो रे का सिद्धांत अपनाने का फैसला कर लिया है और आने वाले दिनों में पार्टी को पूरे राज्य में और भी मजबूत करने का फैसला इस बैठक में लिया गया है. इस बैठक के बाद केयर टेकर मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने अपने आधिकारिक आवास कृष्णा में राज्य के तमाम बड़े अधिकारियों को बुलाया. पिछले 14 महीने की उनकी सरकार में उनके सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और साथ में यह चेतावनी भी दे दी कि राज्य में अनिश्चितता की स्थिति आने वाले समय में भी कम नहीं होने वाली है.