Amit Shah Speech: 'टेक्नोलॉजी के जरिए सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ रहीं', जी-20 देशों से अमित शाह ने की ये अपील
Home Minister Amit Shah: वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी से कई देशों को लाभ मिला है. हालांकि इसके कई नुकसान भी हुए हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने वैश्विक समुदाय को इससे होने वाले नुकसान को लेकर आगाह किया है.
Amit Shah Appeal: केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (13 जुलाई) को वैश्विक समुदाय को ‘डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘हवाला से लेकर क्रिप्टोकरेंसी’ तक सुरक्षा चुनौतियां बढ़ने के प्रति आगाह किया और जी-20 देशों से पारंपरिक सीमाओं से परे जा कर इन अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की.
शाह ने ‘कृत्रिम मेधा, मेटावर्स और एनएफटी के युग में अपराध और साइबर सुरक्षा’ पर जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवादी वित्तीय लेनदेन के लिए नए तरीके और नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सुरक्षा तंत्र और डिजिटल ढांचे के लिए खतरा पैदा हो गया है.
वैश्विक ताकतें कर रही प्राद्यौगिकी का इस्तेमाल
शाह ने किसी का नाम लिए बिना कहा,‘‘मनुष्यों, समुदायों और देशों को करीब लाने में प्रौद्योगिकी का अहम योगदान है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व और वैश्विक ताकतें भी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नागरिकों और सरकारों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जी-20 ने अब तक आर्थिक दृष्टिकोण के लिए डिजिटल बदलाव, डेटा प्रवाह पर ध्यान केंद्रित किया लेकिन अब अपराध, सुरक्षा पहलुओं को समझना तथा समाधान तलाशना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.’’
राष्ट्रीय चिंता का कारण है ऐसी गतिविधि
शाह ने कहा कि ऐसी गतिविधियां राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का कारण हैं क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून व्यवस्था और अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे अपराधों और अपराधियों को रोकना है तो हमें पारंपरिक भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठ कर सोचना और कार्य करना होगा.
सभी देशों के कानूनों में लानी होगी एकरूपता-गृह मंत्री
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “सीमा पार से सक्रिय साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई सुझाव दिए जिनमें सभी देशों के कानूनों में एकरूपता लाना, देशों के विभिन्न कानूनों के तहत एक प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना, सभी देशों की साइबर एजेंसियों के बीच अधिक समन्वय स्थापित करना आदि शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘‘साइबर सुरक्षा नीतियों के प्रति एकीकृत और स्थिर रुख से सूचना साझा करने में भरोसा बढ़ेगा, एजेंसी के नियम आड़े नहीं आएंगे तथा संसाधनों की कमी दूर होगी. सदस्य देशों के बीच ‘वास्तविक समय में साइबर खतरे से जुड़ी खुफिया जानकारी’ साझा करना इस वक्त की आवश्यकता है.’’
शाह ने कहा कि इंटरनेट के बारे में हमारा दृष्टिकोण न बहुत स्वत्रंत होना चाहिए कि हमारे देशों के अस्तित्व को खतरे में डालते हों और न ही अलगावादी आचरण वाले हों.
कई देशों में हो चुके हैं साइबर हमले – मंत्री शाह
उन्होंने कहा, ‘‘ कई देशों में साइबर हमले हो चुके हैं और ये खतरे दुनिया के सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों पर मंडरा रहे हैं. विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार साइबर हमलों से दुनिया भर को 2019-2023 के बीच 5200 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा होगा. किप्टोकरेंसी का इस्तेमाल, इसे रोकने और पहचान करने की प्रक्रिया को और जटिल बनाती है.’’
गृह मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के आपराधिक उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुरूप, साक्ष्यों का शीघ्र संरक्षण, जांच और समन्वय आवश्यक है. उन्होंने कहा कि आने वाली प्रौद्योगियों से निपटने के लिए कम्प्यूटर इंमजेंसी रिस्पॉन्स टीम्स (सीईआरटीएस)को मजबूत बनाने की आवश्यकता है.
देशों के बीच समर्पित साझा चैनल की है जरुरत
गृह मंत्री ने बताया कि डिजिटल करेंसी से जुड़े साइबर अपराधों के बढ़ने से इस प्रकार की आर्थिक अनियमितताओं को रोकने के लिए देशों के बीच एक ‘‘समर्पित साझा चैनल’’ की जरूरत है.
साइबर अपराधियों से निपटने के लिए देश के कदमों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि भारत ने सामान्य पहुंच वाले ‘डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल’ स्थापित किए हैं जो आज दुनिया में उदाहरण बन गए हैं.
दुनिया को एक नए मॉडल की है जरुरत- शाह
उन्होंने आगे कहा, ‘‘भारत ने डिजिटल पहचान के लिए आधार मॉडल, तेजी से भुगतान के लिए यूपीआई मोड, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी, और ओपन हेल्थ सर्विस नेटवर्क ) आदि विकसित किए हैं. दुनिया को आज सूचना और वित्त के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए एक नए मॉडल की आवश्यकता है. इससे दुनिया के देशों को अपने नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने में मदद मिलेगी.’’
केन्द्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने साइबर सुरक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है ये ऑनलाइन पाठ्यक्रम मंच ‘सीवाई ट्रेन’ पोर्टल के जरिए चलाया जा रहा है.
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