Amit Shah Bihar Visit: BJP की चुनावी तैयारियों की समीक्षा के क्रम में अमित शाह पिछले कुछ महीनों से हर महीने एक बार बिहार जरूर जाते रहे हैं. इसी क्रम में वो 2 अप्रैल को एक बार फिर राज्य का दौरा करने जा रहे हैं. इस दौरान अमित शाह सासाराम और नवादा संसदीय क्षेत्र का दौरा करेंगे. 


इसमें सासाराम का दौरा बड़ा अहम है. यहां अमित शाह मौर्य वंश के राजा सम्राट अशोक द्वारा स्थापित लघु शिलालेख देखने जाएंगे. सम्राट अशोक द्वारा लगाए गए लघु शिलालेखों में यह बिहार का इकलौता शिलालेख है. अमित शाह का यहां जाना एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने वाला है.


क्या है संदेश? 


दरअसल, सासाराम से सटे चंदन पहाड़ी पर स्थित इस शिलालेख को लेकर बीजेपी ने पिछले साल आंदोलन भी किया था. हुआ यह था कि करीब 2300 साल पुराने इस लघु शिलालेख की जगह पर करीब 20 सालों से एक मजार बना कर कब्जा कर लिया गया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि ASI की ओर से बार-बार स्थानीय प्रशासन को निवेदन करने के बावजूद इस अतिक्रमण को हटाया नहीं जा सका. इसे लेकर पिछले साल 1 अक्टूबर को बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता और बीजेपी के विधान पार्षद सम्राट चौधरी ने एक आंदोलन भी किया था. 


इस आंदोलन के बाद एक बार फिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने स्थानीय प्रशासन से इस अतिक्रमण को हटाने का निवेदन किया जिसके बाद पिछले साल 30 नवंबर को इस अतिक्रमण को हटा लिया गया और लघु शिलालेख दोबारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कब्जे में आ गया. सम्राट अशोक का यह लघु शिलालेख 1917 से ही संरक्षित इमारत रहा है. बौद्ध धर्म के प्रचार के सिलसिले में सम्राट अशोक ने इन शिलालेखों को देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित किया था. 


अमित शाह के दौरे के क्या हैं मायने?


सम्राट अशोक से जुड़े प्रतीकों पर अमित शाह का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में कुशवाहा समाज अपने को मौर्य वंश का वंशज मानता है और चंद्रगुप्त मौर्य के साथ सम्राट अशोक इस वंश के सबसे प्रतापी राजा थे. यही वजह है कि इस शिलालेख को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए आंदोलन चलाने वालों में बीजेपी नेता सम्राट चौधरी सबसे आगे थे जो खुद कुशवाहा समाज से आते हैं. 


बिहार में कुशवाहा वोटरों की संख्या क़रीब 6.5 फीसदी है. अगर इसमें कुर्मी वोटरों को मिला दें तो यह संख्या 10 फीसदी के पार हो जाती है. बिहार में कुर्मी और कोइरी समुदाय को आमतौर पर लव कुश के नाम से जाना जाता है. यही वजह है यही वजह है कि हाल ही में जेडीयू छोड़कर अपनी नई पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा को भी अपने साथ लाने की बीजेपी तैयारी कर रही है. 


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