नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच नई दिल्ली में जुबानी जंग जारी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में रैली की इजाजत नहीं मिलने पर कहा कि ममता बनर्जी रैली की इजाजत दें या नहीं दे, मैं तो बंगाल जाऊंगा. उन्हें गिरफ्तार करना है तो करें. शाह के बयान के ठीक बाद कोलकाता पुलिस ने कहा कि उन्हें 11 अगस्त को मेयो रोड पर रैली की इजाजत दी गई है. इससे पहले बीजेपी ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार उन्हें रैली की इजाजत नहीं दे रही है.


अमित शाह द्वारा रैली पर बयान देने को लेकर ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें जाने दीजिए. उन्हें वहां 365 दिन जाने दीजिए. बंगाल सभी के लिए है. बंगाल सभी का स्वागत करता है. यह उनकी पार्टी की समस्या है.


इस बीच आज पश्चिम बंगाल में होने वाली रैली को लेकर अमित शाह ने दिल्ली में बैठक की. बैठक में प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, मुकुल रॉय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा, बंगाल संगठन महामंत्री सुब्रोतो चटर्जी मौजूद थे.


आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की सत्ता से दूर बीजेपी टीएमसी को चुनौती देने के लिए लंबे समय से तैयारी कर रही है. बीजेपी की नजर 2019 लोकसभा चुनाव पर है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूबे के मिदनापुर में रैली को संबोधित किया था. इस दौरान उनके निशाने पर टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी थी.


टीएमसी और बीजेपी में तल्खी पिछले दिनों तब और बढ़ गई जब बीजेपी ने दावा किया कि अगर वह सत्ता में आई तो एनआरसी प्रक्रिया शुरू करेगी. यानि असम की तरह ही एनआरसी लागू किया जाएगा. असम के एनआरसी ड्राफ्ट का ममता मुखर होकर विरोध कर रही है और वह इन दिनों दिल्ली में हैं.


कल उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी और चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर एनआरसी अन्य राज्यों में लागू किया गया तो गृहयुद्ध और खूनखराबा होगा. टीएमसी लोकसभा और राज्यसभा में भी जमकर एनआरसी ड्राफ्ट का विरोध कर रही है. पार्टी का कहना है कि 40 लाख लोगों को अपने ही घरों में बेगाना बना दिया गया.


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वहीं अमित शाह ने कहा था कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल, जो असम एनआरसी के खिलाफ बात कर रहे हैं, उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठियों पर अपना रुख साफ करना चाहिए.


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