लखनऊ: सोनू यादव के लिए ये सब कुछ सपने जैसा था. जिस पार्टी के लिए वे 14 साल से काम कर रहे थे उसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उनके घर 'भोजन' किया. मां, बाबूजी, पत्नी, मौसी और चाची ने अपनी पसंद के खाने बनाए थे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बड़े चाव से रायता खाया और इसकी ख़ूब तारीफ़ की. यादव के घर के रायते के बहाने अब तैयारी सियासत की प्लेट में रायता फैलाने की है. अमित शाह के जाते ही गदगद सोनू बोले, "मेरा तो जीवन धन्य हो गया."
अब तक तो अमित शाह दलितों के घर ही भोजन करते रहे हैं. देश भर में 110 दिनों की यात्रा पर निकले शाह राजस्थान से लेकर ओड़िशा तक दलित परिवारों के संग खाना खा चुके हैं लेकिन यूपी में वे यादव के घर पहुँच गए. ये सब हुआ वोटों का गणित सोच समझ कर. 2019 के लोक सभा चुनाव में पिछले चुनाव के करिश्मे को दुहराने के लिए ये ज़रूरी है और उनकी मजबूरी भी. लाख कोशिशों के बाद भी दलित और ख़ास कर जाटव अब भी मायावती के साथ है. मुलायम परिवार के झगड़े और सत्ता से बाहर होने से यूपी का यादव समाज हताश और निराश है.
ऐसे हालात में बीजेपी की ओर से बढ़े दोस्ती के हाथ झटकना यादवों के लिए आसान नहीं होगा. मायावती के ज़माने से ही उनका बैर दलितों से रहा है. यूपी में 11% यादव वोटर हैं. पैसे और लाठी से ताक़तवर भी हैं. अगर यादवों के एक तबके को भी बीजेपी अपने से जोड़ पाई तो फिर कमाल हो जाएगा. वैसे ये काम बड़ा मुश्किल है. दो साल पहले विधान सभा चुनावों से पहले पार्टी बिहार में ये दाव खेल चुकी है लेकिन हाथ ख़ाली रहे. यूपी में विधान सभा चुनाव में यादव जाति के लोगों ने कुछ इलाक़ों में बीजेपी के लिए भी वोट किया वरना इटावा से लेकर फ़िरोज़ाबाद तक समाजवादी पार्टी पिटती नहीं.
अमित शाह के मिशन यादव को अगर यूपी में पंख लगे तो फिर बीजेपी बिहार तक उड़ान भर सकती है. मुलायम सिंह यादव और लालू यादव अब बुज़ुर्ग हो चले हैं जबकि नई पीढ़ी के कुछ यादवों में मोदी मैजिक का असर है. अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव के लिए यादव और मुसलमान को साथ रखना आसान नहीं होगा. पिछले कुछ सालों में यूपी में कई सांप्रदायिक झगड़े इन्हीं दोनों समुदाय के बीच हुए.
यूपी दौरे पर आए अमित शाह ने पार्टी नेताओं को अगले तीन महीने का टास्क दिया है. यादव जाति के वोटरों को जोड़ने के लिए, नेताओं को अपने अपने इलाक़ों में यादव समाज के ख़ास लोगों की लिस्ट बनाने को कहा गया है. जिनसे बीजेपी नेता संवाद करेगें, पार्टी और सरकार के ओर से किए काम समझायें जायेंगें. छह महीने बाद अमित शाह फिर यूपी का दौरा कर मिशन यादव की थाह लेंगें.