नई दिल्ली: विजयी दशमी के हर्षोल्लास के बीच शुक्रवार की शाम गहरे सदमे में बदल गई. अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास रावण दहन के वक्त हुए रेल हादसे में मृतकों की संख्या बढ़ कर 59 हो गई जबकि 58 लोग बुरी तरह घायल हो गए. हादसे में जख्मी हुए लोगों का तरणतारण, जालंधर, गुरदासपुर और अमृतसर में इलाज चल रहा है. इममें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है. पुलिस कमिश्नर सुधांशु श्रीवास्तव ने कहा कि मृतकों की सही संख्या के बारे में अभी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन संभावना है कि 61 लोग मारे गए हैं. इस बीच आधिकारिक तौर पर 59 मृतकों की सूची जारी की गई है.


ड्राईवर से पुलिस ने की पूछताछ
पंजाब और रेलवे पुलिस ने शनिवार को डीएमयू (डीजल मल्टीपल यूनिट) के ड्राइवर को लुधियाना रेलवे स्टेनशन से हिरासत में लिया और शुक्रवार रात को हुई इस घटना के संदर्भ में पूछताछ की. ड्राइवर ने अपने बयान में कहा कि उन्हें ग्रीन सिग्नल दिया गया था और रास्ता साफ था लेकिन उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि बड़ी संख्या में लोग रेलवे ट्रैक पर खड़े होंगे.


नेताओं ने लोगों पर निकाला गुस्सा
हादसे के बाद कई नेताओं ने ट्वीट कर इस बात से नाराजगी जाहिर की कि ऐसे हादसे के बाद भी लोग अपने मोबाईल पर सेल्फी लेते रहे और वीडियो बनाने में व्यस्त रहे. पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर रावण दहन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं. उन्होंने बाद में कहा कि कोई भी नहीं जानता था कि हादसा कैसे हुआ और सब जश्न मना रहे थे और पटरियों पर सेल्फी ले रहे थे.
सियासी नेताओं समेत कई लोगों ने ट्विटर पर दुखद घटनाओं के दौरान सेल्फी लेने की पंरपरा पर निराशा जताई.


लोगों का विरोध हुआ तेज
हादसे के बाद स्थानिय लोगों में रेलवे और प्रशासन के खिलाफ काफी रोष दिखा, प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और ट्रेन के चालक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. दुर्घटनास्थल पर सुबह होते ही हजारों लोग जुट गए. मुख्यमंत्री के आने की खबर के बीच पुलिस ने भीड़ पर काबू करने के लिए व्यापक व्यवस्था शुरू कर दी. सुबह होते ही पटरी के आस-पास के इलाके को घेर लिया गया.


नहीं ली गई थी अनुमति
कार्रवाई आगे बढ़ने के बाद ही यह साफ हो गया कि रावण दहन के लिए न तो रेलवे को सूचित नहीं किया गया था और न ही नगर निकाय से आयोजन की अनुमति ली गई थी.


रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एक बयान में कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था. उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, “बीच के रास्ते पर ट्रेनें अपनी निर्धारित गति से चलती हैं और यह उम्मीद नहीं होती कि लोग पटरियों पर मौजूद होंगे. बीच के खंड पर रेल कर्मचारी तैनात नहीं होते हैं. रेलवे फाटक पर कर्मी होते हैं जिनका काम यातायात नियंत्रित करना है.’’


उन्होंने कहा कि गेटमैन रेलवे फाटक से 400 मीटर की दूरी पर था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर ड्राइवर ने आपात ब्रेक लगाए होते तो इससे भी बड़ा हादसा हो सकता था.


कोर्ट के नियम के तहत हुआ था आयोजन
अनुमति को लेकर भले ही रेलवे ने जानकारी न होने की बात रखी लेकिन जांच में ये पाया गया कि पुलिस ने इसलिए भी इसक कार्यक्रम को बंद नहीं किया गया क्योंकि ऊपरी अदालत के नियम के तहत लाउडस्पीकर नियंत्रित आवाज़ में चलाकर, कोई भी आवाजाही प्रभावित किए बग़ैर, जानलेवा हथियार लेकर आए बिना अगर दशहरा होता है तो पुलिस को इससे कोई एतराज़ नहीं रहता. हालांकि, अमृतसर पुलिस ने यह भी कहा कि उन्होंने जोड़ा फाटक के पास दशहरा उत्सव के लिए "नो ऑब्जेक्शन" सर्टिफिकेट दिया था लेकिन आयोजकों ने नगरपालिका निगम और प्रदूषण विभाग से अनुमति नहीं ली थी. इस मेले के लिए 20 हजार लोगों के आने का जिक्र था.


16 घंटे बाद पहुंचे मुख्यमंत्री
कल शाम तकरीबन 7.15 बजे हुए इस भयावह हादसे के 16 घंटे बाद राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह घटना स्थल पर पहुंचे. मुआवजे का एलान उन्होंने पहले ही कर दिया था पहुंचते ही उन्होंने कई आदेश दिए जिसमें धार्मिक मेलों के आयोजन के लिए नए गाइड-लाइन की भी बात शामिल थी. उन्होंने हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए. जिसके तहत एक महीने के अंदर रिपोर्ट देने की बात थी. सिंह अस्पताल पहुंचे और इस दुखद हादसे में घायल हुए लोगों एवं मृतकों के परिजनों से मुलाकात की. उन्होंने तत्काल 3 करोड़ की राशि जारी करने का आदेश दिया.


जीआरपी ने दर्ज की प्राथमिकी


राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने अमृतसर हादसे के संबंध में शनिवार को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया. जीआरपी के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 304 ए और 338 के तहत एक मामला दर्ज कर लिया गया है.


37 ट्रेनें रद्द, 16 का बदला रास्ता
अमृतसर में हुए रेल हादसे की वजह से रेलवे ने शनिवार को वहां से गुजरने वाली 37 ट्रेनों को निरस्त कर दिया, जबकि 16 अन्य का मार्ग परिवर्तित कर दिया. इसके साथ ही जालंधर-अमृतसर रेलमार्ग पर आवाजाही भी रोक दी गई.


ट्रेन चालक के खिलाफ नहीं होगी कोई कार्रवाई
शनिवार शाम होते-होते रेल मंत्रालय की ओर से साफ कर दिया गया कि इस मामले में ड्राइवर या रेलवे पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होगी. रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा, "दुर्घटना में रेलवे की कोई गलती नहीं थी. हमारी ओर से कोई चूक नहीं थी और ट्रेन चालक के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी. लोगों को भविष्य में रेल पटरी के किनारे ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने से परहेज करना चाहिए. मेरा मानना है कि यदि ऐहतियात बरती गई होती तो दुर्घटना टाली जा सकती थी."


राजनीति भी हुई तेज
घटना के बाद से ही राज्य सरकार और नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को लेकर जमकर बयानबाजी हुई. नवजौत कौर इस आयोजन में चीफ गेस्ट के तौर पर आई थी और चश्मदीदों ने आरोप लगाया कि हादसा होती ही वो वहां से निकल गईं थीं. विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि बिना किसी उचित मंजूरी के रेल पटरियों के निकट कांग्रेस द्वारा दशहरा आयोजित कराया गया. पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जिम्मेदारी तय करने और दोषियों को दंड़ित करने के लिए इस घटना की हाई कोर्ट के किसी रिटायर से जांच कराने की मांग की.


वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजिंदर मोहन सिंह चिन्ना ने नवजोत कौर को घेरते हुए कहा कि वो झूठ कह रही हैं कि हादसे के वक्त वो वहां मौजूद नहीं थीं. उन्होंने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा दिए गए जांच के आदेश को भी ‘‘महज दिखावा’’ बताया.


बिहार सरकार की ओर से हुआ मुआवजे का एलान
मृतकों में बिहार से ताल्लुक रखने वाले भी कई लोग थे. हादसे के दूसरे दिन राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया.


आंसुओं के सैलाब में डूबे परिजन
हादसे के बाद हर तरफ से वादे और संवेदनाएं आए लेकिन हादसे के शिकार हुए लोगों के परिजनों को अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि उनके अपने अब इस दुनिया में नहीं रहे. किसी ने अपने 18 साल के बेटे के कटे हाथ देखे तो किसी ने अपनी छह साल की बेटी को खो दिया.