नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरे हो रहे आम्रपाली के प्रोजेक्ट के बारे में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. कोर्ट की तरफ से रिसीवर नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील ने बताया है कि 9538 फ्लैट खरीदारों ने अभी तक खुद को रजिस्टर नहीं कराया है. इसके लिए रिसीवर के ऑफिस और प्रोजेक्ट को तैयार कर रहे एनबीसीसी ने कई बार इन लोगों को नोटिस भेजे. लेकिन उन्होंने अपना फ्लैट लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई. रिसीवर की रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि यह सभी बुकिंग बोगस या बेनामी हो सकती हैं.


कोर्ट ने इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए इन सभी फ्लैट खरीदारों को रिसीवर की वेबसाइट पर अपना नाम रजिस्टर कराने के लिए 15 दिन का समय दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इसके बाद इन फ्लैटों की नीलामी शुरू की जाए, ताकि प्रोजेक्ट के लिए पैसा जुटाया जा सके.


आम्रपाली बिल्डर्स का RERA रजिस्ट्रेशन हो चुका है रद्द
23 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने खरीदारों के पैसों के गबन और प्रोजेक्ट पूरा न करने के लिए आम्रपाली बिल्डर्स का RERA रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था. कोर्ट ने करीब 46,000 फ्लैट खरीदारों के हितों का ध्यान रखते हुए सभी प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा भारत सरकार के उपक्रम नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) को सौंप दिया था. वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमानी को रिसीवर नियुक्त करते हुए पूरे हो चुके फ्लैट उसके खरीदारों को सौंपने का ज़िम्मा दिया गया था. इस आदेश के बाद अब तक हज़ारों लोगों के फ्लैट पूरे कर उन्हें सौंपे जा चुके हैं.


फ्लैट की नए सिरे से बिक्री या नीलामी होगी शुरू
रिसीवर ने अपनी नई रिपोर्ट में बताया है कि 9538 फ्लैट आवंटन ऐसे हैं, जिनके आवंटी अपना ब्यौरा दर्ज नहीं करवा रहे हैं. जबकि, 6210 आवंटी ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को रजिस्टर तो करवाया है, लेकिन भुगतान शुरू नहीं कर रहे. कोर्ट ने कहा कि हो सकता है इन लोगों को कोई दिक्कत हो. इनके बारे में 27 अगस्त को विचार किया जाएगा. लेकिन खुद को रजिस्टर ही न करने वाले 9538 लोगों के साथ अधिक रियायत नहीं बरती जा सकती. अगर 15 दिन में यह लोग आगे नहीं आते तो इन फ्लैटों को 'अनसोल्ड' (न बिका हुआ) मानकर उनकी नए सिरे से बिक्री या नीलामी शुरू की जाए.


जस्टिस युयु ललित और अजय रस्तोगी की बेंच ने प्रोजेक्ट के लिए धनराशि जुटाने में एनबीसीसी को हो रही दिक्कत की भी चर्चा की. लोन देने में हिचक रहे बैंकों से कोर्ट ने कहा कि यह परियोजना सुप्रीम कोर्ट की है. इसके लिए बैंकों को पर्सनल गारंटी समेत दूसरी कागज़ी कार्रवाई की चिंता नहीं करनी चाहिए. कोर्ट ने रिसीवर को बैंकों के साथ इस मसले पर एक बार फिर बैठक करने के लिए कहा है.


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