अपने नागरिकों को वापस नहीं चाहता पाकिस्तान? सरहद पार करने की हुई थी गलती, सजा भी पूरी कर ली अब PAK ने ही मोड़ लिया मुंह
अमृतसर सेंट्रेल जेल में बंद दो पाकिस्तानी जफ्फार आलम और शाहीद अली को फॉरनर एक्ट 2009 के तहत सरहद पार कर भारतीय सीमा में घुसने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
भारतीय जेलों में कई ऐसे नागरिक हैं जो गलती से सरहद पार कर भारत की सीमा में घुस आए. इनमें से हजारों ऐसे हैं जिन्हें लेकर भारत को लगता है कि वे पाकिस्तान के नागरिक हैं. हालांकि, भारत सालों से पाकिस्तान से उनकी नागरिकता को लेकर कंफर्मेशन मांग रहा है, लेकिन पाक की तरफ से अब तक कोई पुष्टिकरण नहीं आया है. ये कैदी अपनी सजा पूरी कर चुके हैं और अब अपने मुल्क की ओर से पाकिस्तानी नागरिकता के कंफर्मेशन का इंतेजार कर रहे हैं.
ऐसे ही एक कैदी जफ्फार आलम की पंजाब के अमृतसर की जेल में मौत हो गई है. इसी जेल में बंद दूसरे कैदी शाहीद अली ने आलम पर हमला कर दिया था. जेल प्रशासन को लगता है कि ये दोनों पाकिस्तान के नागरिक हैं.
पाकिस्तान उच्चायोग से नहीं आया कोई जवाब
आलम की मौत के बाद जेल प्रशासन ने पाकिस्तान उच्चायोग को चिट्ठी लिखकर उसकी डेडबॉडी ले जाने का आग्रह किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. आलम 15 साल से अपनी नगारिकता पर पुष्टीकरण का इंतेजार कर रहा था. अमृतसर सेंट्रल जेल के एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान की तरफ से जिन नागरिकों की नागरिकता को लेकर पुष्टीकरण नहीं आता है, उनकी डेडबॉडी को दफना दिया जाता है. उन्होंने बताया कि ऐसे 74 लोग जेल में हैं, जिनकी नागरिकता को लेकर पाकिस्तान से पूछा गया है, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया.
15 साल से पाकिस्तान के जवाब का इंतेजार कर रहे ये कैदी
अधिकारी ने बताया कि गलती से सरहद पार करके ये लोग भारतीय सीमा में घुस आए, जिसके लिए इन्हें जो सजा मिली उसकी अवधि भी पूरी हो चुकी है और सालों से पाकिस्तान के जवाब का इंतेजार कर रहे हैं. हालांकि, पाकिस्तान ने अब तक इनके पाक नागरिक होने की पुष्टि नहीं की है. आलम को भी फॉरनर एक्ट 2009 के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह 2012 में ही अपनी सजा पूरी कर चुका है, लेकिन बार-बार पूछे जाने पर भी पाकिस्तान ने उसकी नागरिकता को लेकर कंफर्मेशन नहीं दिया. उसकी हत्या के आरोपी शाहीद अली की कहानी भी ऐसी है. हालांकि, अब उस पर हत्या के भी आरोप हैं.
कैदियों का दावा, पाकिस्तान के रहने वाले हैं
अधिकारी ने बताया कि ये लोग पासपोर्ट के बिना गलती से सरहद पार कर भारतीय सीमा में आ गए. अधिकारी ने कहा कि ऐसे मामलों में सिर्फ एक से दो साल की ही सजा मिलती है, लेकिन जब तक उनका देश नागरिकता को लेकर पुष्टी नहीं करता है तब तक उन्हें जेल में ही रहना पड़ता है. अधिकारी ने बताया कि आलम और शाहीद ने गिरफ्तारी के समय अपना पता भी दिया था. आलम ने बताया था कि वह न्यू कराची की मूसा कॉलोनी का रहने वाला है.
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