अमृतसर: रावण जल रहा था, पटाखे जलने की शोर के आगे हर आवाज कमजोर पड़ रही थी. भीड़ खुशी में मशगूल थी. तभी तेज रफ्तार में ट्रेन गुजरी और हर तरफ लाशें बिछ गई. खुशियां गम में बदल गईं. हर तरफ चीख-पुकार मच गईं. अमृतसर हादसों में अपनों को खोने वाले हर एक यही कहानी बयां कर रहे हैं. कुछ का इलाज अमृतसर के अस्पतालों में चल रहा है.


अमृता (बदला हुआ नाम) नाम की एक महिला ने अमृतसर रेल हादसे में अपनी बेटी को खो दिया, पति और बेटा जिंदगी और मौत से अस्पताल में जूझ रहा है. अमृता के परिजनों ने बताया कि रावण जलने की वजह से भीड़ थी. तभी अचानक चीख पुकार की आवाज सुनाई दी. लोग भाग रहे थे. तभी अमृता की गोद से बच्ची फिसल गई. उसने दम तोड़ दिया. अमृता जिस अस्पताल में मौजूद है वहां उसके बेटा का इलाज चल रहा है. वहीं पति को प्रशासन ने दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया है.


वहां मौजूद एक युवक ने बताया कि पटाखे जल रहे थे. तभी दो ट्रेन आई. सिर्फ 20 सेकेंड में हादसा हुआ. अपने बेटे का इलाज करा रहे सुनील कुमार ने बताया, ''जब रावण का दहन हो रहा था तब हम रेलवे ट्रैक के किनारे खड़े थे. जब जलने की आवाज आई तो हमलोग थोड़ा पीछे हटे. इसमें बच्चा गिर गया. वो घायल हो गया.''


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10 साल के विशाल का इलाज करा रहे एक पिता ने कहा, ''रावण देखने के लिए हम गए थे. पटरी पर खड़े थे. रावण जल रहा था, तेज आवाज थी, तभी ट्रेन आ गई. पटाखे की आवाज की वजह से ट्रेन की आवाज सुनाई नहीं दी. तभी भीड़ इधर-उधर भागने लगी. सभी अपने परिजनों को ढूंढ़ रहे थे.''



16 साल के बेटे को खोने वाली एक मां का रो-रो कर बुरा हाल है. उन्होंने बताया कि साढ़े सात बजे तक जब मेरा बेटा घर नहीं आया तो मैंने फोन किया. किसी और ने फोन उठाया. उन्होंने कहा कि आपके बेटे की मौत हो चुकी है.

आंखों देखी
एक मां अपने 2-3 साल के बच्चे की लाश को ले जाते हुए फूट फूट कर रो रही हैं. बेटे को रावण दहन दिखाने ले गई थी लेकिन अब बेटा ही चला गया. एक अन्य मां जिसका 23 साल का इकलौता बेटा इस दुर्घटना में काल के गाल में समा गया. पहली बार रावण दहन देखने गया था लेकिन बाद में पता चला कि कई शवों में उसका विषय वहीं पड़ा था. अमृतसर के सिविल अस्पताल में मृतकों की सूची लगाई गई है.


कल देर शाम ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी तभी अमृतसर में जोड़ा फाटक पर हादसा हुआ. इस हादसे में कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक घायल हो गए. हादसे के बाद जमीन पर क्षत-विक्षत शव पड़े हुए थे.


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