नई दिल्ली: अमृतसर में कल शाम रावण दहन के दौरान ट्रेन हादसा हुआ. रेलवे ट्रैक पर लोग रावण दहन देख रहे थे तभी डीएमयू ट्रेन इन लोगों पर मौत बन कर कहर बरपा कर गुजरी. सिर्फ पांच सेकेंड में चारों तरफ मौत का भयानक मंजर पसर गया. हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 59 हो गई है वहीं 70 से ज्यादा लोग घायल हैं. जानें कैसे हुआ अमृतसर में बड़ा ट्रेन हादसा ?
अब ये दर्दनाक हादसा एक अनसुलझी पहेली बन चुकी है. हर कोई अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है. रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा है कि इस हादसे में रेलवे की कोई गलती नहीं है. मनोज सिन्हा ने कहा- रावण जलाने के दौरान पटाखों की आवाज आई जिससे लोग ट्रेन की आवाज नहीं सुन पाए और ये दुखद हादसा हुआ. मृतकों के परिवारों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं और हम घायलों के स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं. ये रेलवे की चूक नहीं है, रेलवे को इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी.मनोज सिन्हा ने कहा- रावण जलाने के दौरान पटाखों की आवाज आई जिससे लोग ट्रेन की आवाज नहीं सुन पाए और ये दुखद हादसा हुआ. मृतकों के परिवारों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं और हम घायलों के स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं. ये रेलवे की चूक नहीं है, रेलवे को इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी. 'ऐसा खौफनाक मंजर कभी नहीं देखा, हर तरफ लाशें बिखरी हैं'
रेलवे का कहना है कि ना तो कोई परमिशन ली गई थी और ना ही कोई जानकारी दी गई थी. फिरोजपुर डीआरएम विवेक कुमार ने एबीपी न्यूज़ से कहा, ''रेलवे की गलती तो मैं इसमें नहीं मानता हूं. बहुत दुखद घटना हुई है मैं इसमें किसी की गलती नहीं कहना चाहता. रावण दहन रेलवे की जमीन पर नहीं हो रहा था और ना ही कोई परमिशन ली गई थी, ना ही कोई जानकारी दी गई थी. जब डीएमयू आई, तो लोगों ने हॉर्न नहीं सुना आवाज नहीं सुनी, इससे पहले एक गेट पड़ता है, 400 मीटर पहले, ट्रैक पर मोड़ है. अंधेरा था दिखाई देता नहीं है, ड्राइवर ने जैसे ही लोगों को देखा उसने गाड़ी की स्पीड कंट्रोल की ब्रेक लगाया लेकिन ट्रेन को रोकने में वक्त लगता है इस वजह से यह हादसा हो गया.'' डीआरएम विवेक कुमार ने कहा, ''सिगनल ग्रीन था सिग्नल का कोई वायलेशन नहीं है. गाड़ी की मैक्सिमम स्पीड 91 किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी और उसके बाद जब ब्रेक लगाया तो स्पीड कम की. ड्राइवर सिग्नल पर निर्भर होकर अपनी निर्धारित गति से चलता है.'' पूरी खबर यहां पढ़ें
अब सवाल यह उठ रहा है कि जहां हादसा हुआ वहां से अमृतसर का स्टेशन करीब एक किलोमीटर दूर है और इसके दूसरी तरफ सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर रेलवे का फाटक है. ये कैसे हो सकता हो कि जिस ट्रैक से दिनभर में दर्जनों गाड़ियां निकलीं हो, वहां क्या हो रहा है इसकी जानकारी रेलवे को ना हो? दूसरी तरफ जिला प्रशासन कह रहा है कि आयोजकों ने उन्हें रामलीला की जानकारी ही नहीं दी थी. जबकि वहां कई साल से रामलीला का आयोजन हो रहा है. रामलीला का आयोजन करने वाला कांग्रेस नेता कल रात से ही फरार है. जीआरपी ने जो केस दर्ज किया है उसमें भी किसी को नामजद नहीं किया गया है. दशहरा कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि आयोजक अंडरग्राउंड हो गए हैं. हादसे के बाद GRP ने धारा 304, 304 A, 337 के तहत एफआईआर दर्ज की है. इसमें किसी का नाम नहीं लिया गया है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन ड्राइवर, रेलवे अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन की जांच की जा रही है. अब सवाल है कि इतनी बड़ी चूक हुई कैसे ? कैसे जिस पटरी पर सैकड़ों लोग खड़े थे वहां से दो ट्रेनें पूरी रफ्तार से धड़धड़ाते हुए गुजर गई, पुलिस प्रशासन ने लोगों को पटरी से हटाने की कोशिश क्यों नहीं की, रेलवे ट्रैक के बगल में रावण दहन की इजाजत कैसे दे दी गई, रामलीला कमेटी ने लोगों को पटरी पर खड़े होने से क्यों नहीं रोका ? इस हादसे का जिम्मेदार कौन है...रेलवे, पुलिस-प्रशासन या रामलीला कमेटी ?
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