नई दिल्ली:  अमृतसर ट्रेन हादसे को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर लगातार सवालों के घेरे में हैं. आरोप लगे हैं कि नवजोत कौर इतने बड़े हादसे के बावजूद लोगों को रोते बिलखते छोड़कर मौके से भाग गई. हालांकि नवजोत कौर लगातार कह रही हैं कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं थी और वो पहले ही कार्यक्रम से जा चुकीं थीं. इस बीच 19 अक्टूबर की शाम का एक सीसीटीवी वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में साफ-साफ पता चला है कि नवजोत कौर मंच पर कब पहुंचीं, कितनी देर रुकीं और कब वहां से निकल गईं. स्टेज से महज तीन घर दूर राज कुमार के घर पर एक सीसीटीवी लगा है, यह फुटेज इसी कैमरे की है.


सीसीटीवी वीडियो में क्या दिख रहा है?
19 अक्टूबर की शाम अमृतसर के धोबीघाट इलाके में रावण दहन का कार्यक्रम हो रहा था. 6 बजकर 40 मिनट के करीब नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत मंच पर पहुंचीं. इसके करीब 14 मिनट बाद यानि 6 बजकर 54 मिनट पर रावण के पुतले में आग लगाई गई. नवजोत कौर उस वक्त मंच पर ही थीं, इसके तीस सेकेंड बाद ही ट्रेन हादसा हुआ, जो इस सीसीटीवी कैमरे में नहीं दिख रहा है.


रावण दहन के करीब अठावन सेकेंड बाद ही यानि करीब 6 बजकर 55 मिनट पर नवजोत कौर मंच से उतरकर चली गईं. इस वक्त तक शायद किसी को आभास नहीं था कि रेलवे ट्रैक पर इतनी बड़ी घटना हो चुकी है. नवजोत कौर के मंच से जाने के करीब एक मिनट बाद हल्ला मचा, मैदान में हलचल शुरू हुई, यहां मौजूद लोग और पुलिस के जवान रेलवे ट्रैक की तरफ जाने लगे.


पत्नी के बचाव में आए सिद्धू, ट्रेन की स्पीड पर उठाए सवाल
स्थानीय विधायक और मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अपनी पत्नी डॉ. नवजोत कौर के बचाव में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी के बारे में फैलाया जा रहा है कि वो कार्यक्रम में देर से पहुंची थी वो बिलकुल गलत है क्योंकि साढ़े छह बजे का समय था और वो छह चालीस पर कार्यक्रम में मौजूद थीं. जोड़ा फाटक के रावण दहन के कार्यक्रम के तुरंत बाद वो पांचवे कार्यक्रम में जाने वाली थीं और वहां से निकल गई थीं. जैसे ही वो निकली और उनके पास फोन आया कि हादसा हो गया है तो कमिश्नर ऑफ पुलिस ने खुद उनसे कहा कि वो हादसे की जगह न आएं क्योंकि लोग काफी गुस्सा हो रहे हैं.


सिद्धू ने ट्रेन की स्पीड पर भी सवाल उठाए हैं. नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि हमेशा धीमे चलने वाली ट्रेन, तेज रफ्तार से कैसे आई? इसे लड्डू ट्रेन कहा जाता है क्योंकि ये हमेशा 30 किलोमीटर की रफ्तार से चलती है लोग इसमें चलते चलते सवार हो जाते हैं. हमेशा 30 किलोमीटर प्रति घंटा वाली ट्रेन हादसे वाले दिन ट्रेन 110 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही थी तो क्या इसके पीछे कोई खास वजह थी. हादसे से पहले 2 ट्रेनें उसी पटरी से गुजरीं जो 25 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की स्पीड से गई थीं. रेलवे फाटक के पास हादसा रोकने की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं तो किसकी थी और रेलवे फाटक से 300 मीटर दूर ट्रेन ने हॉर्न क्यों नहीं बजाया.


यहां देखें खुलासा करने वाला सीसीटीवी वीडियो