सुखबीर सिंह बादल ने कहा," वे मिशन कवरअप पर हैं, पंजाब सरकार में कोई पछतावा या गंभीरता नहीं है. मुख्यमंत्री विदेश में हैं और इस घटना का आयोजन करने वाले वरिष्ठ नेता दुर्घटना के बाद ही भाग लिए. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है."
इससे पहले भी उन्होंने इस घटना की स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी और कहा था,"सूबे के मुख्यमंत्री इस रेल हादसे को बहुत हल्के में ले रहे हैं. वह कह रहे हैं जांच की रिपोर्ट 4 हफ्ते में आएगी. पीड़ितों के बयान पर इस मामले में एफआइआर होनी चाहिए. इस मामले की स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच होनी चाहिए."
कैसे हुआ हादसा?
दशहरा के दिन अमृतसर के जोड़ा फाटक इलाके में रावण दहन और पटाखे फूटने के बाद भीड़ में से कुछ लोग रेल की पटरियों की ओर बढ़ने लगे जहां पहले से ही बड़ी संख्या में लोग खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे. शाम करीब 7 बजे जौड़ा फाटक से डीएमयू ट्रेन गुजरी, ये डीएमयू ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी. ये ट्रेन ट्रैक पर खड़े लोगों को कुचलती चली गई. रावण दहन के वक्त पटाखों की आवाज में ट्रेन के आने का पता नहीं चला और दर्दनाक हादसा हो गया. इस हादसे में 61 लोगों की मौत हो गई थी.