अमृतसर: पंजाब में अमृतसर में शुक्रवार शाम को रावण दहन देखने के लिए रेल पटरियों पर खड़े लोगों के ट्रेन की चपेट में आने से कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई जबकि 72 अन्य घायल हो गए. कईयों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है. शवों के क्षत-विक्षत होने की वजह से पहचान में भी काफी दिक्कत हो रही है. हादसों की वजह से लोगों में काफी गुस्सा है. वे भीषण हादसे के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय लोग आज रेलवे ट्रैक पर लाशों के साथ प्रदर्शन कर सकते हैं. इस बीच मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी घटना स्थल का दौरा करेंगे. देर रात केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने घटनास्थल का दौरा किया था. पढ़े देर शाम हुए इस हादसे से जुड़ी 10 बातें-


1. ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी तभी जोड़ा फाटक पर हादसा हुआ. मौके पर कम से कम 300 लोग मौजूद थे जो पटरियों के निकट एक मैदान में रावण दहन देख रहे थे. हादसे की वजह प्रशासनिक लापरवाही बताई जा रही है. रेल अधिकारी स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं पंजाब सरकार ने कहा है कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस बीच राजनीति भी खूब हो रही है. दावा किया जा रहा है कि रावण दहन कार्यक्रम में कांग्रेस नेता नवजोत कौर सिद्धू भी मौजूद थीं. हालांकि सिद्धू ने इस दावों से इनकार किया है. पढ़े देर शाम हुए इस हादसे से जुड़ी 10 खास बातें-


2. कैसे हुआ हादसा?: अधिकारियों ने बताया कि रावण दहन और पटाखे फूटने के बाद भीड़ में से कुछ लोग रेल पटरियों की ओर बढ़ने लगे जहां पहले से ही बड़ी संख्या में लोग खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे. उन्होंने बताया कि उसी वक्त दो विपरीत दिशाओं से एक साथ दो ट्रेनें आईं और लोगों को बचने का बहुत कम समय मिला. उन्होंने बताया कि एक ट्रेन की चपेट में कई लोग आ गए. इस घटना के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई, बदहवास लोग अपने करीबियों को तलाशने लगे. क्षत-विक्षत शव घटना के घंटों बाद भी घटनास्थल पर पड़े थे क्योंकि नाराज लोग प्रशासन को शव हटाने नहीं दे रहे थे. कई शवों की पहचान भी नहीं हो सकी. जमीन पर क्षत-विक्षत शव पड़े हुए थे.


3. कांग्रेस नेता के खिलाफ प्रदर्शन- लोगों ने स्थानीय विधायक नवजोत कौर सिद्धू के खिलाफ नारेबाजी की जो रावण दहन कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर वहां मौजूद थीं. उन्होंने बाद में अस्पताल जाकर पीड़ितों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि रेलवे को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि दशहरा आयोजन के दौरान ट्रैक के इस खंड पर ट्रेन की रफ्तार धीमी रहे.


4. 'रेलवे जिम्मेदार नहीं'- रेलवे ने इस हादसे के लिए खुद को निर्दोष बताया है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कहा, ''मेन लाइन के पास दशहरा का आयोजन किया जा रहा है इसकी सूचना रेलवे प्रशासन को नहीं दी गई थी. लोग रेल ट्रैक पर से दशहरा उत्सव देख रहे थे. लोगों को अलर्ट रहना था. यह कहना गलत होगा कि रेलवे प्रशासन जिम्मेदार है.''


5. अतिक्रमण का मामला: एक अन्य अधिकारी ने कहा कि रेलवे को अमृतसर में दुर्घटना स्थल के पास दशहरा कार्यक्रम करने की सूचना नहीं दी गई थी. इसके लिए हमने कोई अनुमति नहीं दी थी. दुर्घटना स्थल के पास लोगों का जमा होना अतिक्रमण करने का स्पष्ट मामला है.


6. शोक- पंजाब सरकार ने शनिवार को एक दिन के शोक का ऐलान किया है. दफ्तर और शिक्षण संस्थान आज बंद रहेंगे. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने घटना की जांच के आदेश दिये हैं. उन्होंने कहा, ‘‘अभी मुझे नहीं पता है कि रेलवे स्टेशन के बगल में रावण का यह पुतला क्यों बनाया गया था. लेकिन प्रशासन इसे देखेगा और जब कल मैं वहां जाउंगा तो हम इसकी जांच करेंगे.’’


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7. मुआवजे का एलान- पंजाब सरकार ने अपनों को खोने वाले परिवार के लिए पांच लाख रुपये मुआवजे का एलान किया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीड़तों को दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की है. घायलों के लिये 50 हजार रूपये के मुआवजे को मंजूरी दी गई है.


8. ट्रेन रद्द: हादसे के तीन घंटे बाद भी जालंधर-अमृतसर मार्ग पर रेल सेवा पूरी तरह से बाधित रही. 26 ट्रेनें जगह-जगह या तो रोक दी गई या रद्द कर दी गई. रेलवे ने हादसे के पीड़ितों के परिजनों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. अधिकारियों ने बताया कि 01832223171 और 01832564485 नंबरों पर फोन करके हादसे के बारे में जानकारी ली जा सकती है. मनावला स्टेशन का फोन नंबर 0183-2440024, 0183-2402927 और फिरोजपुर का हेल्पलाइन नंबर 01632-1072 है.





9. रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी, उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेश चौबे रात 11 बजे वायुसेना के विमान से दिल्ली से रवाना हुए. उन्होंने देर रात घटनास्थल का दौरा किया.


10. घटना के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा प्रशासन के प्रति है. एक गमगीन महिला ने कहा, ‘‘मैंने अपना नाबालिग बेटा खो दिया. मुझे मेरा बेटा लौटा दो.’’ एक स्थानीय शख्स ने कहा, ‘‘कई बार हमने अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से कहा है कि इस मुद्दे को रेलवे के साथ उठाएं कि दशहरे के दौरान फाटक के पास ट्रेनों की गति को कम रखा जाए, लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी.’’


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