मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधारण के लिए अमूल ने डिजिटल ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम की व्यवस्था की है. डेयरी के क्षेत्र में डिजिटल हस्तक्षेप से दुग्ध उत्पादकों का कामकाज आसान हो जाएगा. अमूल डेयरी तकनीक को अपनानेवाला भारत का पहला कोऑपरेटिव संस्थान बन गया है.


कृत्रिम गर्भाधारण की जानकारी के अमूल की पहल


नई व्यवस्था के तहत मवेशी पालकों और कोऑपरेटिव संस्थान को मवेशी के कृत्रिम गर्भाधारण के बारे में फोन पर समय रहते और जल्दी सूचना मिल जाएगी. कोऑपेरिटव से जुड़े दुग्ध उत्पादक सदस्यों को अपने जानवरों के कृत्रिम गर्भाधारण के लिए अमूल के कॉल सेंटर पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. दुग्ध सोसायटी की तरफ से नियुक्त कृत्रिम गर्भाधारण से जुड़े तकनीनिशयन को किसान के बारे में एक मैसेज मिलेगा. मौके पर जाकर तकनीशियन जानवरों का मुआयना कर सकेगा. जब एक बार कृत्रिम गर्भाधारण पूरा हो जाएगा तो सभी जानकारी मोबाइल पर अपडेट कर दी जाएगी. ये जानकारी दुग्ध उत्पादक और अमूल्य कॉल सेंटर पर भेजी जाएगी.


डिजिटली किया जा सकेगा मॉनिटरिंग, ट्रैकिंग


अमूल्य डेयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित व्यास ने कहा, "दुग्ध उत्पादकों को भौतिक रिकॉर्ड रखने की जरूरत नहीं है. सभी जानकारी अमूल्य डेयर के सॉफ्टवेयर पर स्टोर की जाएगी. कृत्रिम गर्भाधारण के डिजिटल होने से दुग्ध उत्पादकों को फौरी सूचना मिल जाएगी. साथ ही दुधारू पशुओं की जानकारी मोबाइल सॉफ्टवेयर सिस्टम में रखी जाएगी. जिसका बाद में अध्ययन किया जा सकेगा." दूध उत्पादन के कामकाज को सुचारू बनाने के लिए तकनीकी हस्तक्षेप के प्रति अमूल के प्रयास को सराहा जा रहा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 4500 कृत्रिम गर्भाधारण के कॉल अमूल कॉल सेंटर पर प्रतिदिन रजिस्टर किए जा रहे हैं. इसके बावजूद अमूल्य डेयरी तकनीक को ज्यादा प्रभावी और उपयोगी बनाने की कोशिश में जुटा है. डिजिटल होने से सूचना पारदर्शी हो जाएगी और इसके अध्ययन से सही फैसले लिए जा सकेंगे.


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