JEE की परीक्षा में ऑल इंडिया 270वीं रैंक हासिल करने वाले अनाथ 18 वर्षीय छात्र की एक गलती ने उसके सारे अरमानों पर पानी फेर दिया और अब वह अपनी उस गलती के चलते सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सिंगल मदर से पला-बढ़ा यह छात्र जेईई में शानदार रैंक हासिल करने के बाद आईआईटी-बॉम्बे में अपनी पसंद के इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बी.टेक कोर्स में जगह पक्की कर ली थी. लेकिन, यह सीट उसने अपनी एक गलती के चलते 15 दिन में ही गंवा दी.
एक गलत क्लिस से गया एडमिशन
दरअसल, आगरा के रहना वाला सिद्धांत बतरा ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी जेईई (एडवांस्ड) 2020 में जगह पक्की करने के बाद 18 अक्टूबर को पहले राउंड में उसे ले लिया गया था. लेकिन, रोल नंबर को अपडेट करने के दौरान उसने ‘अगले राउंड में सीट वापसी’ के लिंक पर गलती से क्लिक कर दिया. जिसका मतलब ये होता है कि उसे एडमिशन की आवश्यकता नहीं है.
इसके बाद, 10 नवंबर को जब चार वर्षीय बीटेक की इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स की सूची से सिद्धांत का नाम गायब था. उसने 19 नवंबर को कोर्ट में याचिका लगाते हुए वेकेशन बैंच से से हुए कहा कि वे आईआईटी को निर्देश दें कि वे 2 दिनों के अंदर इस पर विचार करे. लेकिन, जब लेट रजिस्ट्रेशन के लिए महज दो दिन रह गए थे, बतरा की यह अपील खारिज कर दी गई. आईआईटी रजिस्ट्रार आर. प्रेम कुमार ने कहा कि इंस्टीट्यूट के पास वापसी के पत्र को खत्म करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके हाथ नियमों से बंधे हुए हैं.
अनाथ छात्र ने लगाई सुप्रीम कोर्ट से गुहार
इसके बाद, बतरा ने अब सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. उसने एक अतिरिक्त अपने सीट लिए बनाने की मांग की है ताकि उसका नुकसान ना हो. वह दादी और चाचा के साथ रहता है और ‘अनाथ पेंशन’ मिलती है.
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