Anand Mohan Release: बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की जेल से रिहाई हो गई है. वो गुरुवार (27 अप्रैल) सुबह सहरसा जेल से रिहा किए गए हैं. वो डीएम जी कृष्णैया की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. इस रिहाई को लेकर डीएम कृष्णैया की बेटी पदमा कृष्णैया ने एतराज जताया है. उन्होंने इसे लेकर पीएम मोदी और बिहार के सीएम से भावुक अपील की है.


पदमा ने पीएम से कहा, ''मेरी पीएम नरेंद्र मोदी से अपील है कि ऐसे शख्स की समाज में वापसी न हो, क्योंकि मेरे पास इनसे लड़ाई करने की शक्ति नहीं है. कोई ऐसा कानून बनाए कि ऐसे गैंगस्टर और माफिया बिहार या फिर किसी राज्य में इस तरह से न घूम सके. फिर से विचार करें.''


'बिहार के लोगों से पूछिए...'


पदमा ने एनडीटीवी से कहा कि आप मेरे पिता के बारे में नहीं जानते तो बिहार के लोगों से पूछिए. उन्होंने कहा कि करीब 29 साल बाद भी लोग लड़ाई के लिए तैयार है. दरअसल, साल 1994 में मुजफ्फरपुर में एक गैंगस्टर की शव यात्रा के दौरान गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी.


बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह कि रिहाई पर पदमा ने कहा कि यह हमारे लिए बेहद दुख की बात है कि आनंद मोहन को जेल से छोड़ दिया गया. सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध करती हूं कि इस फैसले पर दोबारा सोचे.


क्या हुआ था 29 साल पहले?


दरअसल  की बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई 'जेल सजा क्षमादान आदेश' के तहत हुई है. हाल में बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था. इसके तहत मोहन सहित 27 लोगों की रिहाई हुई. अक्टूबर 2007 में कोर्ट ने आनंद मोहन को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन दिसंबर 2008 में पटना हाई कोर्ट ने मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया था.



इस बाहुबली नेता ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल नियमावली, 2012 में संशोधन किया था और उस उपबंध को हटा दिया था, जिसमें कहा गया था कि ‘ड्यूटी पर कार्यरत जनसेवक की हत्या’ के दोषी को उसकी जेल की सजा में माफी/छूट नहीं दी जा सकती है.


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