नई दिल्ली: अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए इस साल बेहद पुख्ता इंतजाम किए गए थे. यात्रा रूट की सुरक्षा का जिम्मा 40 हजार सुरक्षाबलों पर है. लेकिन ऐसी चार चूक थी जिसकी वजह से आतंकी अपने नापाक मंसूबे में कामयाब हो गए. आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन का मुखिया सैयद सलाउद्दीन ने भी अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले की धमकी दी थी.


अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने काफी पहले से ही आतंकी हमले का अलर्ट भेजा था जिसके बाद अमरनाथ यात्रा के रूट और यात्रियों की सुरक्षा पिछले साल के मुकाबले बढ़ाई थी. सवाल है कि इतने पुख्ता सुरक्षा इंतजाम के बावजूद आखिर कहां चूक हो गई.


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चूक नंबर- एक (बस ने सुरक्षा नियम तोड़ा)


सबसे बड़ा सवाल है कि जब श्रद्धालुओं की गाड़ियों को सुरक्षा मिली हुई है तो बस ने सुरक्षा नियम क्यों तोड़ा. पुलिस के मुताबिक, बस के श्रद्धालु अमरनाथ गुफा के दर्शन करके लौट रहे थे और अनंतनाग के आस-पास के इलाके में घूम रहे थे. पुलिस के मुताबिक बस के ड्राइवर ने सुरक्षा नियमों को तोड़कर शाम सात बजे के बाद बस को सड़क पर ले गया जिसकी वजह से आतंकियों को हमले का मौका मिल गया.


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सुरक्षा नियम के तहत शाम 7 बजे के बाद किसी भी वाहन को हाइवे पर निकलने की इजाजत नहीं होती है, क्योंकि गाड़ियों की सुरक्षा हटा ली जाती है. यात्रियों को भी कड़े निर्देश जारी किए गए थे कि रात के समय बालटाल और पहलगाम दोनों रास्तों से ना चले. बस कैसे वहां से आ रही थी ये जांच का विषय है.


चूक नंबर- दो (श्राइन बोर्ड से रजिस्टर्ड नहीं थी गाड़ी)


जिस बस पर आतंकियों ने हमला किया आरोप है कि बस मालिक ने बस का अमरनाथ श्राइन बोर्ड में रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया था. जबकि नियम है कि श्रद्धालुओं को ले जानी वाली हर बस का श्राइन बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है, ताकि हर बस को सुरक्षा मिल सके.


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चूक नंबर- तीन (आतंकियों को पकड़ने में नाकामी)


54 श्रद्धालुओं से भरी बस पर आतंकियों ने हमला रात आठ बजकर 20 मिनट पर किया. जबकि इससे पांच मिनट पहले रात आठ बजकर 15 मिनट पर आतंकियों ने सबसे पहले खानबल में सुरक्षाबलों की चौकी पर हमला किया था. इस जगह पर हमला करने के बाद ही आतंकी बटेंगू की ओर बढ़े और शिव भक्तों से भरी बस पर आतंकी हमला किया. अगर खानबल में ही सुरक्षा बल आतंकियों को ढेर कर देते तो बटेंगू में आतंकी हमला होने से रूक जाता.


जम्मू-कश्मीर के परिवहन मंत्री सुनील शर्मा ने कहा, ‘’जो सुरक्षा देनी थी उसमें कहीं न कहीं चूक हुई है, लेकिन आतंकियों को ठिकाने लगाने का समय आ गया है सेना सक्षम है.’’


चूक नंबर- चार (सुरक्षा बलों ने बस को क्यों नहीं रोका ?)


केंद्र हो या राज्य सरकार उनका दावा है कि चप्पे-चप्पे पर नाकाबंदी और सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं ऐसे में बिना सुरक्षा व्यवस्था के घूम रही बस को कहीं क्यों नहीं रोका गया.


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300 किलोमीटर लंबी अमरनाथ यात्रा के लिए 40 हजार सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं, जोकि पिछले साल के मुताबिक 15 फीसदी ज्यादा है. जम्मू-कश्मीर पुलिस, बीएसएफ और सीआरपीएफ के अलावा सेना और सीमा सुरक्षा बल के जवानों की भी तैनाती की गई है.


इसके अलावा सैटेलाइट ट्रैकिंग और सीसीटीवी के जरिए भी यात्रा रूट पर पैनी नजर रखी जा रही है. साथ ही गृह मंत्रालय रोजाना अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की मॉनिटरिंग कर रहा था, लेकिन इन तमाम सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर आतंकी नापाक मंसूबे को अंजाम देने में कामयाब हो गए.