नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में दहशतपूर्ण हालात के मद्देनजर 25 मई को अनंतनाग में होने वाले लोकसभा उपचुनाव को रद्द कर दिया है. चुनाव आयोग ने कल देर रात जारी 10 पन्नों के आदेश में कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने आयोग को सूचित किया था कि दक्षिण कश्मीर में हालात सही नहीं हैं, कुल मिलाकर स्थिति दहशतपूर्ण है और चुनाव कराने के लिहाज से सहायक नहीं है.


CM बनने के बाद महबूबा मुफ्ती ने दे दिया था लोकसभा से इस्तीफा


तीन सदस्यीय आयोग ने अनंतनाग लोकसभा सीट पर चुनाव कराने के अपने पहले आदेश को रद्द करते हुए नियमों का हवाला दिया. पिछले साल जुलाई में महबूबा मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री बनने के बाद अनंतनाग लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था.


आयोग ने कहा कि अनंतनाग सीट पर उपचुनाव तभी होगा जब निष्पक्ष, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिहाज से हालात सही हों. आयोग ने बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार ने आयोग को सूचित किया था कि चुनाव टालना जरूरी है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद से संबधित गतिविधियों से लड़ने के लिए अभियान फिर से शुरू करना चाहती हैं.


ईसी के मुताबिक सरकार ने यह भी कहा था कि आने वाले महीनों में सार्वजनिक व्यवस्था बहाल करने के लिए ये अभियान जरूरी होंगे ताकि इस साल अक्तूबर के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में चुनाव कराये जा सकें.


हिंसा के बाद EC ने 25 मई तक टाल दिया अनंतनाग उपचुनाव


चुनाव आयोग ने इससे पहले 12 अप्रैल को मतदान कराने की योजना बनाई थी लेकिन कश्मीर घाटी में नौ अप्रैल को भड़की व्यापक हिंसा के कारण इन्हें टाल दिया गया. इस हिंसा में आठ लोग मारे गये थे. हिंसा के बाद आयोग ने अनंतनाग के चुनाव को 25 मई तक स्थगित कर दिया था. राज्य निर्वाचन तंत्र ने उपचुनाव के लिए 687 कंपनियों की मांग की थी.


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग की इस मांग को स्वीकार नहीं किया. गृह मंत्रालय ने कहा कि वह घाटी में पहले से मौजूद 54 कंपनियों के अलावा केवल 250 कंपनियां मुहैया करा सकता है. आयोग ने आतंकवादियों द्वारा पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों का उत्पीड़न करने और असुरक्षा तथा डर का माहौल पैदा किये जाने के संबंध में राज्य सरकार की अनेक खबरों का भी हवाला दिया.


आयोग के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘यह देखना निराशाजनक है कि हमने कश्मीर को 2014 में विधानसभा चुनाव संपन्न कराने की उंचाई से 2017 में चुनाव रद्द कराने तक पहुंचा दिया है.’’