UPSC में 51वीं रैंक पाने वाली अनन्या सिंह ने बताए अपनी सफलता के मंत्र, IAS बनकर हासिल करना है ये लक्ष्य
एक दिन में ज़्यादा पढ़ने की जगह अनन्या ने रोज़ पढ़ने को तरजीह दी. अनन्या कहती हैं कि इस सरल नियम के चलते उनकी दिनचर्या अपने आप एक टाइम-टेबल से बंध गई, जिसमें फेरबदल सम्भव नहीं था.
इलाहाबाद से स्कूली शिक्षा पूरी करके दिल्ली से ग्रेजुएशन करने वाली 22 साल की अनन्या सिंह अपनी पहली ही कोशिश में भारतीय प्रशासनिक सेवा में दाख़िला लेने में सफल हो गई हैं. अनन्या सिंह ने एबीपी न्यूज़ से एक ख़ास बातचीत में अपनी सफलता के राज़ साझा किए.
ज़्यादा पढ़ने से ज़रूरी है रोज़ पढ़ना
“कंसिस्टेंसी ही मेरा मूल मंत्र है.” ये कहते हुए अनन्या सिंह बताती हैं कि उन्होंने यूपीएसी की परीक्षाओं के लिए साल भर पहले से जो रेगुलर पढ़ाई शुरू की थी उसमें सिर्फ़ एक दिन ही ऐसा गया था जिसमें उन्होंने किसी वजह से पढ़ाई नहीं की.
एक दिन में ज़्यादा पढ़ने की जगह अनन्या ने रोज़ पढ़ने को तरजीह दी. अनन्या कहती हैं कि इस सरल नियम के चलते उनकी दिनचर्या अपने आप एक टाइम-टेबल से बंध गई, जिसमें फेरबदल सम्भव नहीं था.
इकोनॉमिक्स विषय से पास की यूपीएससी की परीक्षा
28 जनवरी 1998 को जन्मीं अनन्या ने इलाहाबाद के सेंट मेरी कॉन्वेंट स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद ग्रेजुएशन में उन्होंने दिल्ली यूनवर्सिटी के प्रसिद्ध श्रीराम कालेज ऑफ़ कॉमर्स (SRCC) से इकोनॉमिक आनर्स की पढ़ाई 2018 में पूरी की. अनन्या ने इकोनॉमिक्स विषय को ही सिविल्स की परीक्षा में अपना विषय चुना.
पियानो और कीबोर्ड बजाने का शौक
अनन्या का कहना है कि सिर्फ़ पढ़ते रहने से कोई बदलाव नहीं होता क्योंकि इससे बोरियत हो सकती है. इससे बचने के लिए अपने किसी भी शौक़ को एक सीमित दायरे में ज़रूर अपनाना चाहिए.
अनन्या को म्यूज़िक का शौक़ है. वो सामान्य फ़िल्मी गाने सुनती रही हैं. पियानो के शौक़ के चलते अनन्या ने अपने कमरे में पियानो भी रखा है जिसे वो कभी-कभी मन होने पर बजाया करती हैं.
कहा अनन्या ने की अटूट मेहनत- मां
अनन्या के परिवार में उनकी मां और पिता के अलावा उनसे नौ साल बड़े भाई और भाभी हैं. पिता ज़िला जज के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और मां अध्यापक के पद से. बड़े भाई भी न्यायिक पद पर कार्यरत हैं.
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए अनन्या की मेहनत को बयां करते हुए अनन्या की मां का गला ख़ुशी से रुंध गया और भरे गले से उन्होंने बताया कि अनन्या जिस चीज़ को ठान लेती है उसे पूरा करके ही दम लेती हैं, अपने लक्ष्य के लिए बहुत अधिक मेहनत करती हैं.
आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध रहना है लक्ष्य
“एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज़ में आना मेरा सपना था जो अब पूरा हो चुका है.” ये कहते हुए अनन्या बताती हैं, “लेकिन इस नौकरी में आने का मेरा सपना मेरे एक दूसरे बड़े लक्ष्य से जुड़ा है. दरअसल मैं आम लोगों के काम आना चाहती हूँ और अब आगे मेरे जीवन का लक्ष्य होगा कि मैं आम लोगों की परेशनियां दूर करने के लिए आसानी से उनके लिए उपलब्ध रह सकूं."
ज़ाहिर है, ये नई पीढ़ी है जो लाल फ़ीताशाही का अर्थ भी जानती है और अधिकारियों के मनमाने और दोहरेपन को भी; इस कॉमन सेंस को, अपने तईं, बदलना भी अनन्या का लक्ष्य है.
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