Andaman and Nicobar Islands: अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीप अब परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर जाने जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (23 जनवरी) को पराक्रम दिवस पर 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर इन द्वीपों का नामकरण किया. 


रक्षा विशेषत्रों का मानना है कि पीएम मोदी का ये फैसला भारतीय सेना के मनोबल को राष्ट्रीय चेतना के अगले स्तर तक बढ़ाने वाला है. दरअसल, इन द्वीपों को भारत की समुद्री सीमाओं के प्रहरी के तौर पर स्थापित किया गया है. जिनसे रणनीतिक तौर पर भारतीय सेना को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी.


क्यों हैं भारतीय सेना की बड़ी ताकत?


अंडमान निकोबार द्वीप समूह मलक्का स्ट्रेट और दस डिग्री चैनल के मुहाने पर स्थित है. हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाली मलक्का स्ट्रेट से ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होता है. अंडमान निकोबार द्वीप समूह का सबसे आखिरी दक्षिणी द्वीप बांदा आचेह से केवल 237 किमी की दूरी पर स्थित है. जिसकी वजह से भारत की पकड़ सुंडा और लोम्बोक स्ट्रेट तक पर हो जाती है. जो दक्षिण चीन सागर यानी प्रशांत महासागर में प्रवेश के लिए दो जरूरी समुद्री रास्ते हैं. अंडमान निकोबार द्वीप समूह हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान रखता है. 


रक्षा और रणनीति के जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार को भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के विजन पर कदम आगे बढ़ाने चाहिए. इन जानकारों का कहना है कि मलक्का स्ट्रेट जाने वाले मालवाहक जहाजों के लिए कैंपबेल खाड़ी में एक कंटेनर टर्मिनल बनाने की 15 साल पुरानी योजना पर फिर से काम शुरू करना होगा. दरअसल, मलक्का स्ट्रेट जाने वाले जहाजों को रिफ्यूल वगैरह के लिए कोलंबो बंदरगाह पर इंतजार करना पड़ता है. अगर उन्हें ये सुविधा यहां मिल जाती है, तो भारत की रणनीतिक स्थिति अपने आप मजबूत हो जाएगी.


नेकलेस ऑफ डायमंड्स में जुड़ेगा एक और 'हीरा'


भारत ने रणनीतिक तौर पर चीन को कमजोर करने लिए पड़ोसी देश की समुद्री और जमीनी सीमाओं से लगते देशों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने का काम तेजी से किया है. वहीं, चीन के समुद्री और जमीनी व्यापार मार्ग को कूटनीतिक तौर पर घेरने के लिए नेकलेस ऑफ डायमंड्स स्ट्रेटजी पर भारत लगातार कदम बढ़ा रहा है. अंडमान निकोबार द्वीप समूह के विकास के जरिये इस नेकलेस ऑफ डायमंड्स रणनीति में एक और हीरा पिरोया जा सकता है.


रणनीतिक जानकारों का कहना है कि पोर्ट ब्लेयर में त्रि-सेवा कमांड बनाया गया है. भारतीय नौसेना के पनडुब्बी रोधी और टोही अभियानों उत्तरी अंडमान में आईएनएस कोहासा और ग्रेट निकोबार में आईएनएस बाज अंजाम दे रहे हैं. जिसमें पी-8आई विमान को भी शामिल करने की जरूरत है. अगर भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को सख्त जवाब देने की मंशा रखता है, तो उसे भारतीय नौसेना के दो विमानवाहक पोतों को संभालने के लिए कैंपबेल बे में एक जेटी बनाने की जरूरत है.


इतना ही नहीं, तीनों सेनाओं को एक-दूसरे के बीच तालमेल बनाकर काम करना होगा. जानकारों के मुताबिक, जब Su-30 एमकेआई फाइटर जेट्स पोर्ट ब्लेयर में आईएनएस उत्क्रोश पर उतरते हैं, तो आईएनएस बाज पर उतरने वाले फाइटर जेट्स दक्षिण चीन सागर का पूरा खेल ही बदल देंगे. दरअसल, इससे दक्षिण पूर्व एशिया और उससे आगे भारत के सैन्य पदचिह्न का विस्तार मिलेगा.


इको-टूरिज्म और समुद्री खेलों के लिए अपार संभावनाएं


सैन्य संपत्ति से इतर अंडमान निकोबार द्वीप समूह इको-टूरिज्म और समुद्री खेलों के लिए अपार संभावनाएं पैदा करता है. जिसमें जनजातीयों के इलाकों से पर्यटकों को दूर भी रखा जा सकता है. इसके लिए द्वीप समूह में बिजली उत्पादन की यूनिट लगानी होगी, जो डीजल जेनरेटर्स पर निर्भर न हों. जानकारों का कहना है कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह का विकास बढ़ते हुए भारत के कदमों से मेल खाना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप के साथ पूरी दुनिया भर में गूंजने वाला संकेत भेजेगा.


सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर पराक्रम दिवस पर नेताजी को श्रद्धांजलि दी. जनरल अनिल चौहान कैंपबेल खाड़ी और एयर फोर्स स्टेशन कार्णिक और इंदिरा प्वाइंट का भी दौरा किया. इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पोर्ट ब्लेयर में ऐलान किया कि मोदी सरकार द्वीप समूह के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2001 में अंडमान निकोबार त्रि-सेवा कमांड की स्थापना की थी.


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