Andaman Nicobar Rape Case: अंडमान-निकोबार पुलिस के एक विशेष जांच दल ने 21 वर्षीय महिला के साथ कथित सामूहिक बलात्कार (Gangrape) के मामले में सोमवार (31 अक्टूबर) को तीसरे दिन पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण (Jitendra Narain) से पूछताछ की. गैंगरेप के मामले में बुरी तरह से फंसे जितेंद्र नायारण को गृह मंत्रालय ने 17 अक्टूबर को सस्पेंड कर दिया था.


इस केस में सबसे अहम बात यह भी है कि पीड़िता ने 21 अगस्त को तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और एक अन्य नौकरशाह आरएल ऋषि के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत पुलिस में दी थी, लेकिन केस दर्ज हुआ 44 दिन बाद यानी 1 अक्टूबर को. ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जितेंद्र नायारण की सिस्टम में कैसी पकड़ है.


अप्रैल-मई में बलात्कार, अगस्त में शिकायत और अक्टूबर में FIR


चलिए अब आपको शुरू से बताते हैं कि आखिर यह पूरा मामला है क्या और इस में अब तक क्या-क्या सामने आ चुका है. महिला ने 21 अगस्त को पुलिस में शिकायत की थी कि जितेंद्र नारायण और एक अन्य नौकरशाह आरएल ऋषि ने अप्रैल और मई में उसके साथ दुष्कर्म किया था. पहली सूचना रिपोर्ट 1 अक्टूबर को पोर्ट ब्लेयर पुलिस ने दर्ज की थी. आरोप गंभीर थे और मामला मीडिया में भी काफी उठ चुका था, अंत में एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया. 


महिला ने क्या आरोप लगाए?


महिला ने पुलिस को दी शिकायत में तत्कालीन मुख्य सचिव और एक अन्य नौकरशाह पर रेप के आरोप लगाए. महिला ने कहा कि चूंकि उसके पिता और सौतेली मां ने उसकी वित्तीय जरूरतों का ध्यान नहीं रखा, इसलिए उसे नौकरी की जरूरत थी और कुछ लोगों ने उसे श्रम आयुक्त से मिलवाया, क्योंकि वह तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे.


उसने प्राथमिकी में दावा किया कि मुख्य सचिव ने द्वीपों के प्रशासन में विभिन्न विभागों में "केवल सिफारिश के आधार पर" और बिना किसी "औपचारिक इंटरव्यू" के "7,800 उम्मीदवारों" को नियुक्त किया. महिला का आरोप है कि उसे सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर फुसलाया गया और फिर वहां 14 अप्रैल व 1 मई को दुष्कर्म किया गया. पीड़िता ने कहा, "मुख्य सचिव ने मुझे बताया कि पूरे अंडमान पर उनका नियंत्रण है और मेरे लिए एक सरकारी नौकरी पक्की हो गई है, इसलिए मैं दोबारा (एक मई) वहां चली गई. मुझे धमकी भी दी गई."


एसआईटी को जांच में मिले सेक्स फॉर जॉब रैकेट के सबूत


एसआईटी को सामूहिक बलात्कार की जांच करते हुए कथित सेक्स फॉर जॉब रैकेट के सबूत हाथ लगे. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एसआईटी ने मुख्य गवाह के बयान भी दर्ज किए. जांच अधिकारियों को पता चला है कि 20 से अधिक महिलाओं को उनके साल भर के कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर पोर्ट ब्लेयर में नारायण के आवास पर ले जाया गया और उनमें से कुछ को यौन शोषण के एवज में नौकरी भी दी गई. पोर्ट ब्लेयर में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस से पुष्टि की कि दोनों निलंबित नौकरशाहों के मोबाइल फोन के सीडीआर (कॉल डेटा रिकॉर्ड) और 21 वर्षीय महिला के फोन कॉल घटनाक्रम से मिलते हैं.


पहले मिटाई गई हार्ड डिस्क, फिर हटा दया गया DVR


इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सूत्रों ने यह भी पुष्टि की है कि मुख्य सचिव के घर में स्थापित क्लोज सर्किट (सीसीटीवी) कैमरा सिस्टम के डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) की हार्ड डिस्क को पहले मिटा दिया गया था. इसी के साथ जब उनका ट्रांसफर ब्लेयर से दिल्ली किया गया तो डीवीआर को ही हटा दिया गया था. इसको लेकर पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी और एक स्थानीय सीसीटीवी विशेषज्ञ ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के कथित विनाश की पुष्टि करते हुए अपनी गवाही दी है. 


4 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई


निलंबित मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण से एसआईटी लगातार पूछताछ कर रही है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 4 नवंबर को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह प्रशासन की याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से नारायण को मिली अग्रिम जमानत को चुनौती दी गई थी.


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