Mumbai By Election: मुंबई की अंधरी पूर्व विधानसभा सीट के उपचुनाव से बीजेपी उम्मीदवार के पर्चा वापस लेने की असली वजह क्या है? क्या ये पर्चा महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा बरकरार रखने के लिये लिया गया है या फिर पार्टी के फायदे को ध्यान में रखकर? जानिये कैसे एक बड़े चुनाव को ध्यान में रखकर बीजेपी ने एक छोटे चुनाव में अपने उम्मीदवार की कुर्बानी दे दी.
भारतीय राजनीति के इतिहास में बार-बार ये साबित हो चुका है कि अक्सर भावनाएं सिर्फ दिखावे के लिए होती हैं. राजनीतिक फैसले पार्टी का फायदा नुकसान देखकर लिए जाते हैं. राजनेताओं के खाने के दांत एक और दिखाने के एक होते हैं. क्या ऐसा ही कुछ अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट के उपचुनाव को लेकर भी हुआ है. इसी साल मई में इलाके के विधायक रमेश लटके की दुबई में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. उसके बाद यहां उपचुनाव घोषित हुए. बीजेपी ने यहां से मूरजी पटेल को टिकट दिया, जबकि ठाकरे गुट वाली शिवसेना ने रमेश लटके की विधवा पत्नी ऋतुजा को टिकट देना तय किया.
महाराष्ट्र की परंपरा न टूटे
ऋतुजा लटके बीएमसी में क्लर्क की नौकरी करतीं थीं. चुनाव लड़ने से पहले इस्तीफा मंजूर होना जरूरी था. बीजेपी पर आरोप भी लगा कि उसने ऋतुजा का इस्तीफा मंजूर होने में रूकावटें पैदा कीं. आखिर ऋतुजा लटके के बॉम्बे हाई कोर्ट में दरवाजा खटखटाने के बाद उनका इस्तीफा मंजूर हो गया. इस बीच MNS प्रमुख राज ठाकरे और शिंदे गुट के विधायक प्रताप सरनाईक ने बीजेपी को खत लिखकर निवेदन किया कि महाराष्ट्र में ऐसी परंपरा रहे है कि अगर कोई विधायक की जगह उसकी विधवा चुनाव लड़ती है तो विरोधी दल उसके खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारते. ऐसे में बीजेपी भी ऋतुजा लटके के खिलाफ उतारे गए अपने उम्मीदवार का पर्चा वापस ले ले.
ताकि बीजेपी को चेहरा बचाने का बहाना मिले?
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी यही मांग की. पहले तो बीजेपी ने इस निवेदन पर कोई फ़ैसला नहीं किया, लेकिन पर्चा वापस लेने की मियाद से महज 3 घंटे पहले पार्टी ने ऐलान किया की मृत विधायक के सम्मान में उनका उम्मीदवार पर्चा वापस लेगा. सवाल ये उठता है कि अगर बीजेपी को मृतक के प्रति सम्मान दिखाना ही था तो अपने उम्मीदवार से परचा क्यों भरवाया? यहां सवाल टाइमिंग का भी है. पर्चा वापसी के लिए आखिरी घंटों तक का इंतेजार क्यों किया गया? क्या एमएनएस और शिंदे गुट के विधायक प्रताप सरनाईक से उम्मीदवारी वापस लेने की चिट्ठी इसलिए लिखवाई गई ताकि बीजेपी को चेहरा बचाने का एक बहाना मिल सके?
परचा वापस लेने के पीछे सियासी कारण
सियासी पंडित ये मानते हैं कि बीजेपी उम्मीदवार के परचा वापस लेने के पीछे सियासी कारण हैं. राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा गर्म थी कि अंधेरी की सीट पर ऋतुजा लटके के प्रति सहानुभूति की लहर बन रही थी और ऐसे में बीजेपी के लिए सीट निकाल पाना मुश्किल नजर आ रहा था. बीजेपी के लिए इस उपचुनाव से ज्यादा बीएमसी के चुनाव अहमियत रखते हैं. मुंबई महानगरपालिका पर कब्जा हासिल करने के लिए इस बार पार्टी एडी-चोटी का जोर लगा रही है.
बीजेपी की उम्मीदवार गुजराती था
बीजेपी को अंदेशा है कि अगर वो अंधेरी विधान सभा सीट से उम्मीदवार उतारती तो ठाकरे गुट वाली शिव सेना चुनाव प्रचार के दौरान ये कहकर बीजेपी पर निशाना साध सकती थी कि बीजेपी मुंबई में मराठी मानुस का दमन कर रही है. वहीं, बीजेपी के उम्मीदवार मूरजी पटेल गुजराती हैं, जबकि ठाकरे गुट की उम्मीदवार ऋतुजा लटके मराठी हैं. इसके साथ ही अंधेरी में गुजरातियों की संख्या भी मराठियों के मुकाबले कम है.
3 नवंबर को मतदान
बीजेपी ने अपने उम्मीदवार से पर्चा वापस करवाकर ऋतुजा लटके की जीत की राह आसान जरूर कर दी है, लेकिन उनका चुनाव निर्विरोध नहीं होगा. इस सीट से मैदान में आधा दर्जन निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं. अंधरी पूर्व विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को मतदान होने हैं.