नई दिल्ली: बैंकों को करोड़ों का चूना लगाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. एजेंसी ने बैंक से पांच हजार करोड़ रुपये का घोटाला करने वाले संदेसारा ग्रुप की 4701 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की है. ईडी ने संदेसारा ग्रुप के मालिकों से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की और प्रोपर्टी, रेंज रोवर की गाड़ी, फर्जी चेकबुक, 200 से ज्यादा बैंक खाते और बायोटेक प्लांट आदि जब्त किये. गुजरात, मुंबई में कई जगहों पर छापेमारी के दौरान विदेशों में 50 से ज्यादा बैंक खाते भी पाए गए.
संदेसारा ग्रुप ने आंध्रा बैंक, यूको बैंक, एसबीआई, बैंक आफ इंडिया और इलाहाबाद बैंक से लोन लिया था. संदेसारा ग्रुप पर आरोप है कि उसने देश विदेश में 300 शेल कंपनियां (जो कंपनी केवल कागजों पर होती है) बना कर लोन के पैसे का गबन किया. इन शेल कंपनियों के निदेशक संदेसारा ग्रुप के ही अन्य कर्मचारी थे. ईडी ने इस मामले में आंध्रा बैक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग समेत तीन को गिरफ्तार किया था और चेतन संदेसारिया और नितिन संदेसारिया के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.
एफआईआर के मुताबिक, "कंपनी ने आंध्रा बैंक से जुड़े एक कंसोर्टियम से 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, जो बाद में एनपीए में बदल गया. प्राथमिकी के अनुसार, 31 दिसंबर, 2016 को कंपनी पर बैंक का कुल 5,383 करोड़ रुपये उधार थे." इस मामले में चेतन जयंतीलाल संदेसारा, दीप्ति चेतन संदेसारा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, नितिन जयंतीलाल संदेसारा और विलास जोशी सहित चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हैती, और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ कथित बैंक जालसाजी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी.
लोन के पैसे का क्या किया गया?
-बैंकों से लोन लेकर अलग-अलग जगहों पर शानदार बंगले और बेनामी संपत्ति बनाई गई.
-लोन के पैसे लैंड रोवर, मर्सीडीज और बीएमडब्लयू की महंगी गाड़िया खरीदी गई.
-मॉरीशस, दुबई आदि जगहों पर बिजनेस के नाम पर पैसे भेजे गए.
-लोन के पैसे से कई सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत दी गई थी.
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