आंध्र प्रदेश में पिछले कई दिनों से TDP और YSRCP के बीच चल रहे वार पलटवार के बीच राजनीति तब और गरमा गई जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री को देश के न्यायिक व्यवस्था में दखल देना पड़ा. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में अगर किसी राज्य का सीएम किसी भी न्यायाधीश पर राजनैतिक हस्तक्षेप की बात करता है तो ये सामान्य बात कतई नहीं हो सकती. हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी के उस पत्र की जिसने न्यायिक व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. लोकतंत्र के चार स्तंभ में तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है न्यायपालिका. अगर इसपर कोई उंगली उठाता है तो ये किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए अच्छी खबर नहीं है.


आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे से सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस एनवी रमना के खिलाफ शिकायत की है. अपने आठ पन्नों के पत्र में जगनमोहन ने सीजेआई को कहा है कि जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की सिटिंग को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, इनमें कुछ सम्मानीय जजों के रोस्टर भी शामिल हैं. CJI बोबड़े के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कुछ जज के खिलाफ सरकार को गिराने का आरोप भी लगाया है.


मुख्यमंत्री जगनमोहन ने शिकायत में क्या लिखा
रेड्डी ने चिट्ठी में लिखा है कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर सरकार को अस्थिर किया जा रहा है. साथ ही जस्टिस रमना की दो बेटियों के खिलाफ अमरावती में सवालिया तरीके से जमीन लेन-देन के मामले में एंटी-करप्शन ब्यूरो की ओर से बैठी जांच का भी जिक्र किया गया है. आपको बता दें कि सरकार और न्यायपालिका के बीच ये रंज काफी पहले से चल रहा है.


सीजेआई को यह चिट्ठी 6 अक्टूबर को लिखी गई थी और इसे हैदराबाद में मीडिया के सामने शनिवार की रात को रिलीज की गई है. इसके अलावा इस पत्र में कहा गया है कि मई 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने पर जब से इस सरकार ने चंद्रबाबू नायडू की सरकार की ओर से जून 2014 से लेकर मई 2019 के बीच की गई सभी तरह की डील की जांच के आदेश दिए गए हैं, तब से जस्टिस एनवी रमन्ना राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित करने में जुटे हैं.


जमीन सौदे का उठाया मुद्दा
पत्र में सीएम ने आरोप लगाया है कि जमीन लेन-देन को लेकर राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर जो जांच बैठी है, उस पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया. जबकि एंटी-करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ FIR तक दायर कर दी थी.


दरअसल, 15 सितंबर को ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि एसीबी की तरफ से पूर्व एडवोकेट जनरल पर दर्ज की गई एफआईआर की डीटेल्स मीडिया में रिपोर्ट नहीं की जाए. मीडिया पर इस खबर को कवर करने पर रोक लगा दी थी. अपनी शिकायत में सीएम जगनमोहन ने जस्टिस रमन्ना पर सरकार को अस्थिर करने हाई कोर्ट के काम में दखलअंदाजी और जजों को प्रभावित करने का आरोप लगाया है. जगन ने CJI से आंध्र प्रदेश में जूडिशरी की तटस्थता को बरकरार रखने की गुजारिश की है.


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