क्या है करोड़ों रुपये का कौशल विकास घोटाला? जिसके आरोप में गिरफ्तार हुए आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू
Chandra Babu Naidu Arrested: चंद्रबाबू नायडू पर आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास योजना में घोटाले का आरोप है. इस योजना के तहत 6 कलस्टर बनाए गए थे और 3300 करोड़ रुपये खर्च होने वाले थे
![क्या है करोड़ों रुपये का कौशल विकास घोटाला? जिसके आरोप में गिरफ्तार हुए आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू andhra pradesh ex cm chandrababu naidu arrested over ap skill development scam क्या है करोड़ों रुपये का कौशल विकास घोटाला? जिसके आरोप में गिरफ्तार हुए आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/09/1f6e36b72e7c8496863ada3977f62c2e1694237203561708_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chandra Babu Naidu Arrested: तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को 9 सितंबर (शनिवार) को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है. सीआईडी ने उन्हें सुबह करीब 6 बजे करोड़ों रुपये के आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम (एपीएसएसडीसी) घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया. चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद कई टीडीपी नेताओं को भी नजरबंद कर दिया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2023 में आंध्र प्रदेश पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच शुरू की. तेलुगु देशम पार्टी शासन के दौरान आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम में 3300 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच शुरू हुई थी. उस समय की चंद्रबाबू नायडू सरकार में राज्य कौशल विकास योजना शुरू की गयी थी. इस योजना के तहत राज्य के युवाओं को बड़े उद्योगों में काम करने के लिए प्रशिक्षण देने थे, जिसके लिए 6 कलस्टर बनाए गए थे.
इस योजना पर कुल 3000 करोड़ रुपये खर्च होने वाले थे और प्रशिक्षण देने वाली कंपनी का नाम सीमेंस था. उस समय चंद्र बाबू ने कहा था कि सरकार इस योजना के तहत कुल खर्च का 10 प्रतिशत खर्च करेगी. बाकी बचा 90 प्रतिशत का खर्च प्रशिक्षण देने वाली कंपनी सीमेंस को देगी.
चंद्रबाबू नायडू पर हैं ये आरोप
इसे लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर शैल कंपनी बनाकर पैसे ट्रांसफर करने और उससे संबंधित दस्तावेज नष्ट करने के आरोप हैं. आरोप के मुताबिक तत्कालीन सरकार ने इस योजना के तहत खर्च किए जाने वाले 371 करोड़ रुपये शैल कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए. इसके साथ ही जांच में कई अनियमितताएं पाईं गईं. इस योजना के टेंडर के लिए जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं करने का भी आरोप है. यह भी आरोप है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर राज्य कैबिनेट ने मंजूरी नहीं दी थी.
ये भी पढ़ें: G20 Summit 2023: भारत मंडपम में वर्ल्ड लीडर्स का जुटान, एक क्लिक में देखें जी20 से जुड़ी हर जानकारी
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)