Andhra Pradesh: आंध प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के एक गांव में 16 साल पहले 11 कोंध आदिवासी महिलाओं से सामूहिक बलात्कार के आरोपी 21 पुलिसकर्मियों को एक विशेष कोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने आरोपियों को मुख्य रूप से दो जांच अधिकारियों की निष्पक्ष जांच करने में विफलता के कारण बरी कर दिया गया. 


अगस्त 2007 में एक विशेष टीम ‘ग्रेहाउंड्स’ से संबंधित पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था. सुनवाई 2018 में विशाखापत्तनम में शुरू हुई थी. गुरुवार (6 अप्रैल) को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत ग्यारहवें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-विशेष अदालत द्वारा पुलिसकर्मियों को दुर्भावनापूर्ण जांच के कारण बरी करने के साथ सुनवाई समाप्त हुई. इस बीच, कोर्ट ने आदेश दिया कि बलात्कार पीड़िताओं को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएएलएसए) के माध्यम से मुआवजे का भुगतान किया जाए. 


क्या आरोप लगाया? 


ह्यूमन राइट्स फोरम (एचआरएफ) के एक सदस्य के अनुसार, किसी भी आरोपी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार नहीं किया गया और उनमें से कुछ रिटायर हो गए, जबकि कुछ की मृत्यु हो गई. एचआरएफ-आंध्र प्रदेश राज्य समिति उपाध्यक्ष एम सरत ने आरोप लगाया था, ‘‘ग्रेहाउंड बलों ने अगस्त 2007 में 11 आदिवासी महिलाओं के साथ रेप किया था और उनके खिलाफ पुलिस में एक शिकायत दर्ज की गई थी लेकिन एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया था.’’


23 साल पुराना मामला  


एचआरएफ ने आरोप लगाया कि 20 अगस्त, 2007 को 21-सदस्यीय विशेष पुलिस दल तलाशी अभियान के लिए एक गांव गया था, और विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (पीवीटीजी) से संबंधित 11 आदिवासी महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया. एचआरएफ ने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि कोर्ट ने बलात्कार पीड़िताओं को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया है, जो यह दर्शाता है कि कोर्ट ने उनके बयानों पर भरोसा जताया है.’’


ये भी पढ़ें- Bombay High Court: 'केवल शादी न होने से बाद में रेप का आरोप नहीं लगा सकते हैं', बॉम्बे हाई कोर्ट