आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया है. जिसमें 13 नए चेहरों 11 लोगों को फिर से मौका दिया गया है. आइये जानते हैं कि इस नई कैबिनेट के मंत्रियों की क्या योग्यता है और उन्होंने कितनी पढ़ाई की हुई है. 


आपको बता दें कि रेड्डी की कैबिनेट के 25 मंत्रियों में से एक मंत्री ड़ॉक्टर हैं, दो मंत्री इंजीनियर हैं, तीन मंत्रियों ने पीएचडी की हुई है, पांच मंत्री ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया हुआ है तो 9 मंत्री ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की  हुई है. आपको बता दें कि इस पुर्नगठन के साथ ही जगन मोहन रेड्डी ने 30 मई, 2019  को किया अपना वादा निभा दिया है.  


2019 में ली थी मुख्यमंत्री पद की शपथ


2019 में जब रेड्डी ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी तभी उन्होंने घोषणा की थी कि वह ढाई साल बाद (दिसंबर 2021) अपने मंत्रिमंडल को पूरी तरह बदल देंगे और 90 प्रतिशत नए लोगों को मौका देंगे और 10 प्रतिशत (यानी तीन मंत्रियों) को दोबारा मौका देंगे. 


हालांकि इस हिसाब से मुख्यमंत्री के अलावा केवल दो पुराने मंत्रियों को ही रखा जाना था लेकिन रेड्डी ने पिछले मंत्रिमंडल से 11 लोगों को दोबारा मौका दिया है. इन्हें सात अप्रैल को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था.इसी क्रम में आज राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने राजधानी अमरावती में राज्य सचिवालय के पास एक सार्वजनिक समारोह में मंत्रिमंडल के 25 सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई थी. 


जाति और समुदाय के आधार पर किया गया है नए मंत्रिमंडल का गठबंधन


विधान परिषद से किसी को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. नए मंत्रिमंडल का गठन पूरी तरह से जाति और समुदाय के आधार पर किया गया है, जिसमें 10 मंत्री पिछड़े वर्ग से नाता रखते हैं. मुख्यमंत्री समेत दो अल्पसंख्यक समुदाय से, पांच अनुसूचित जाति (एससी) से और एक अनुसूचित जनजाति (एसटी) से है. रेड्डी और कापू समुदाय से चार-चार लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. मंत्रिमंडल में चार महिला सदस्य हैं, जिनमें से एक को दूसरी बार मौका दिया गया है.


वीएसआईआर ने कहा है सामाजिक मंत्रिमंडल


इस बार के मंत्रिमंडल को वीएसआईआर ने सामाजिक मंत्रीमंडल कहा है. जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अजा, अजजा और अल्पसंख्यक समुदायों के 70 प्रतिशत प्रतिनिधि हैं. वहीं कम्मा, क्षत्रिय और वैश्य समुदाय, जिनके पिछले मंत्रिमंडल में एक-एक प्रतिनिधि थे, अब पूरी तरह से इससे बाहर हो गए हैं. ब्राह्मण समुदाय से फिर से किसी को मौका नहीं दिया गया. राज्य के कुल 26 जिलों में से कम से कम सात को नए मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. 


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