नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौतम सवांग ने विशाखापत्तनम में गैस लीकेज वाली जगह का दौरा किया. इस दौरान वहां विरोध प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों को पुलिस ने रोका. विशाखापत्तनम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग LG पॉलिमर कंपनी के गेट पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ये लोग अपने गांव से कंपनी को तुरंत शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं.
बता दें कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में गुरुवार तड़के ढाई बजे एलजी पॉलिमर कंपनी में गैस रिसाव के बाद 11 लोगों की मौत हो गई. सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत के बाद लगभग 200 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. इस दौरान कई लोग जमीन पर बेहोश पड़े भी मिले थे. कटपुरम गांव में स्थित रासायनिक कारखाने के तीन किमी के दायरे में पांच गांवों में एक हजार से ज्यादा लोगों पर इसका असर बताया गया था. इस हादसे ने भोपाल गैस कांड की याद दिला दी थी.
एक गैस कांड ने हजारों लोगों को सुला दिया था मौत की नींद
करीब 35 साल पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की एक फैक्ट्री में भी ऐसी ही गैस रिसाव की घटना हुई थी. 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस 'मिथाइल आइसो साइनाइड (मिक)' ने हजारों लोगों को एक ही रात में मौत की नींद सुला दिया था. उस मंजर के गवाह अब भी उस रात को याद कर दहशतजदा हो जाते हैं और वे उस भयावह रात को याद ही नहीं करना चाहते.
अब भी मौजूद है गैस हादसे का असर
गैस का शिकार बने परिवारों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक विकलांग पैदा हो रही है. शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के जन्म लेने का सिलसिला जारी है. गैस कांड प्रभावित बस्तियों में अब भी पीड़ितों की भरमार है. कहीं अपाहिज नजर आते हैं तो कहीं हांफते, घिसटते लोग. विधवाओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. बीमार बढ़ रहे हैं. कहने के लिए तो गैस पीड़ितों के लिए अस्पताल भी खोले गए हैं, मगर यहां उस तरह के इलाज की सुविधाएं नहीं हैं, जिनकी जरूरत इन बीमारों को है.
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