नई दिल्ली: आंध्रा प्रदेश पुलिस ने नौसेना में एक बड़े जासूसी रैकेट का पर्दाफाश किया है. नौसेना और दूसरी केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की सूचना पर आंध्रा प्रदेश पुलिस ने नौसेना के सात नौसैनिक और एक हवाला ऑपरेटर को इस मामले में गिरफ्तार किया है. आंध्रा प्रदेश पुलिस के मुताबिक, पाकिस्तान को खुफिया जानकारी लीक करने के इस रैकेट के भंड़ाफोड़ करने वाले ऑपरेशन का कोड नेम 'डॉल्फिन-नोज़' रखा गया था.


सूत्रों के मुताबिक, जो सात नौसैनिक पकड़े गए हैं, वे नौसेना के बेहद ही संवेदनशील नेवल बेस पर तैनात थे. पकड़े गए तीन नौसैनिक नेवी के पूर्वी कमान के मुख्यालय, विशाखापट्टनम में तैनात थे, तो दो पश्चिमी कमान के मुख्यालय, मुंबई और दो ही कारवार (गोवा के करीब कर्नाटक में) तैनात थे.


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विशाखापट्टनम में ही नौसेना के बेस में एक डॉल्फिन नोज़ नाम की पहाड़ी है जहां पर नौसेनाकर्मियों के रिहायशी घर हैं. इसी जगह के नाम पर आंध्रा प्रदेश पुलिस ने अपने इस ऑपरेशन का नाम डॉल्फिन नोज दिया है. विशाखापट्टनम में ही नौसेना की परमाणु पनडुब्बी, अरिहंत और चक्र का बेस भी है.


ऐसे में ये गिरफ्तारियां बेहद अहम हो जाती हैं. कारवार में नौसेना के स्ट्रेटेजिक-मिसाइल बेस के साथ साथ एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य तैनात रहता है. मुंबई स्थित पश्चिमी कमान पूरे अरब सागर और पाकिस्तान से सटी मेरीटाइम बाउंड्री लाइन पर निगरानी रखती है.


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सूत्रों के मुताबिक, ये सभी नौसैनिक हाल ही में नौसेना में भर्ती हुए थे और सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के झांसे में आकर संवदेनशील जानकारियां लीक करने लगे. इसके बदले में इन्हें पैसा भी मिल रहा था. ये पैसा सीधे एकाउंट में ना आकर इन्हे हवाला के जरिए मिल रहा था.


इसीलिए आंध्रा पुलिस ने एक हवाला ओपरेटर को भी इस रैकेट में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. हालांकि, आंध्रा पुलिस और भारतीय नौसेना ने ये जानकारी नहीं दी है कि किस तरह से ये नौसैनिक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के झांसे में फंस गए, लेकिन माना जा रहा है कि हनीट्रैप के जरिए ही इन्हें जाल में फंसाया गया.


आंध्रा पुलिस ने जो एक छोटा सा प्रेस नोट इस मामले पर जारी किया है उसमें लिखा है कि इस मामले में अभी और गिरफ्तारियां हो सकता हैं क्योंकि संदिग्ध लोगों से पूछताछ जारी है.