National Family Health Survey: दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश के लिए टीनएज प्रेगनेंसी एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है. पांचवें दौर के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के ताजा सर्वे के मुताबिक आंध्र प्रदेश में 15 से 19 वर्ष की आयु की लगभग 12.6 फीसदी टीनएज लड़कियों में गर्भवती हो जाती हैं. आंध्र प्रदेश इस मामले में देश में तीसरे स्थान पर है. अगर राष्ट्रीय स्तर पर इस आंकड़े की बात करें तो 6.8 प्रतिशत टीनएज लड़कियां गर्भधारण कर रही हैं, जबकि आंध्र प्रदेश का आंकड़ा कमोबेश दोगुना है.


सर्वे के मुताबिक राज्य में अधिकतर पिछड़े वर्ग की कम उम्र की किशोरियों की स्थिति सबसे बुरी है. यह भी पता चला है कि 17 साल की उम्र में शादी होने के बाद किशोरियों में प्रेग्नेंसी दर में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 18 साल की उम्र में शादी होने के बाद महिलाओं में 18 प्रतिशत और 19 सालों की उम्र में ब्याही गई महिलाओं में प्रेगनेंसी दर 31 फीसदी बढ़ गई है.


एक तिहाई महिलाओं की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में
सर्वे में पता चला है कि आंध्र प्रदेश में 20 से 24 वर्ष की आयु की लगभग एक तिहाई 29.3 फीसदी महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो गई थी. यह राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से ज्यादा है.


बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ चाइल्ड राइट एंड यू (क्राई) की ओर से 2022 में किए गए सर्वे में यह भी पता चला है कि प्रदेश में 52 प्रतिशत अभिभावक बाल विवाह की प्रथा का पालन करते हैं. केवल 22 फीसदी अभिभावक ऐसे हैं, जिन्हें कम उम्र में विवाह से होने वाले नुकसान के बारे में पता है.


प्रेम प्रसंग के डर से करते हैं बाल विवाह
कम उम्र में ही बच्चियों की शादी के पीछे कारण भी चौंकाने वाले हैं. सर्वे में पता चला है कि बेटियों के प्रेम प्रसंगों और शादी से पहले ही गर्भवती होने की चिंता में मां-बाप कम उम्र में ही शादी कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ मामलों में कम दहेज और गरीबी भी बाल विवाह का कारण है.


क्या बोला राज्य बाल अधिकार रक्षा आयोग?
इस बारे में सवाल पूछे जाने पर आंध्र प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य गोंडू सीताराम ने कहा कि आयोग बाल विवाह के नकारात्मक प्रभाव पर अवेयरनेस कैंपेन का आयोजन कर रहा है. इसके लिए कई तरह के आर्टिकल भी पब्लिश किए जाते हैं.


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