Tirumala Tirupati Devasthanam: आंध्र प्रदेश के तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के नए अध्यक्ष बीआर नायडू ने तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर में केवल हिंदू कर्मचारियों को काम पर रखने की नीति का समर्थन किया है. नायडू ने पदभार संभालने के बाद कहा कि उनके पहले कदमों में यह सुनिश्चित करना होगा कि मंदिर परिसर में केवल हिंदू धर्मावलंबी ही कार्यरत हों, जिससे तिरुमला की धार्मिक पवित्रता और हिंदू मान्यताओं को संरक्षित किया जा सके.
बीआर नायडू ने यह भी संकेत दिया कि इस मुद्दे को आंध्र प्रदेश सरकार के साथ उठाया जाएगा ताकि गैर-हिंदू कर्मचारियों को अन्य सरकारी विभागों में स्थानांतरित किया जा सके या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया जा सके. उन्होंने कहा, “तिरुमला में जो भी काम करेगा, उसे हिंदू होना चाहिए. यह मेरा पहला प्रयास होगा. इस मुद्दे को हल करने के लिए हमें सभी पहलुओं की जांच करनी होगी.”
हिंदू हो कर्मचारी, है सरकारी आदेश
1988 में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की ओर से संचालित शैक्षणिक संस्थानों में गैर-हिंदुओं की भर्ती की अनुमति दी गई थी. हालांकि, 2007 में नए सरकारी आदेश के साथ इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. इस संशोधन में मंदिर प्रशासन में गैर-हिंदुओं की भर्ती पर भी प्रतिबंध लगाया गया.
वाईएस जगन सरकार में उठाया गया था 40 से अधिक गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाने का कदम
यह मुद्दा 2018 में भी चर्चा में आया था, जब तत्कालीन वाईएस जगन सरकार के दौरान मुख्य सचिव एलवी सुब्रमण्यम ने टीटीडी के तहत काम करने वाले 44 गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाने का प्रस्ताव दिया था. हालांकि, इस निर्णय को बाद में उच्च न्यायालय ने स्थगित कर दिया था.
आलोचना
बीआर नायडू ने तिरुमला मंदिर के प्रबंधन के प्रति अपनी असहमति व्यक्त करते हुए पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार की निंदा की और आरोप लगाया कि इस प्रशासन के कारण मंदिर की पवित्रता में गिरावट आई. नायडू ने खुलासा किया कि पिछले पांच वर्षों में तिरुमला की स्थिति को लेकर अपनी असहमति के कारण वे वहां नहीं गए, जबकि इससे पहले वे नियमित रूप से भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करते थे.
टीटीडी बोर्ड का पुनर्गठन
हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने टीटीडी बोर्ड का पुनर्गठन किया है, जिसमें बीआर नायडू के अलावा भारत बायोटेक की सह-संस्थापक सुचित्रा एला जैसी प्रमुख हस्तियां शामिल हैं. इस कदम के बाद पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा टीटीडी के “तिरुपति लड्डू” में घटिया सामग्री के उपयोग का आरोप लगाया गया, जिसमें उन्होंने पशु वसा के उपयोग का दावा किया था.बीआर नायडू का यह रुख तिरुमला मंदिर की धार्मिक विरासत और पवित्रता को बनाए रखने की दिशा में एक कड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे प्रशासन के तहत मंदिर के हिंदू स्वरूप को सुरक्षित रखने के प्रयासों को बल मिल सकता है.
यह भी पढ़ें- 'तिरुपति मंदिर में अब सिर्फ काम करेंगे हिंदू', TTD बोर्ड का अध्यक्ष बनते ही बीआर नायडू का फरमान