राजस्थान: जानें क्यों इस जिले के किसान कमर तक की गहराई के गड्ढे में रहने को मजबूर हैं
किसान मांग कर रहे हैं कि उन्हें जमीन का मुआवजा केंद्र के जमीन अधिग्रहण कानून के अनुसार दिया जाए. किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो आंदोलन जारी रहेगा.
जयपुर: मुंबई एक्सप्रेस वे के लिए दी जाने वाली जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने से नाराज किसान अब जमीन सत्याग्रह पर उतारू हो गए हैं. मामला राजस्थान के दौसा जिले से जुड़ा है. सरकारी नीति से नाराज करीब एक सौ किसानों ने दौसा के लाड़ली का बास गांव में कमर तक की गहराई के गड्ढे खोदकर उसमें रहने का एलान कर दिया है.
दौसा जिले के नांगल राजवतान तहसील में आने वाले गांव लाड़ली का बास में गुरुवार को अलग नजारा दिखा. करीब तीन-तीन फीट गहरे और इतने ही चौड़े सौ से ज्यादा गड्ढे खोदे गए और जमीन के मालिक किसान उनके अंदर बैठ गए. बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भी किसानों की मांग को जायज बताया और वो भी एक गड्ढे में बैठ गए. किसान संघर्ष समिति के संयोजक हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर शुरू हुआ ये जमीन सत्याग्रह उस वक्त तक जारी रखा जाएगा जब तक सरकार किसानों की मांग पर कोई सकारात्मक फैसला नहीं कर लेती.
दरअसल राजस्थान सरकार इन जमीन मालिकों को डीएलसी की दर से मुआवजा देना चाहती है, लेकिन साल 2018 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने डीएलसी दरों को 25 प्रतिशत तक घटा दिया था. इस कमी की वजह से किसानों का मुआवजा भी कम हो रहा है. अब किसान इसे लेने को तैयार नहीं हैं. लाड़ली का बास में खोदे गए गड्ढों में किसानों के साथ उनकी परिजन महिलाएं भी बैठी हैं. गांव के लोग तेज सर्दी को देखते हुए गड्ढे में ही चाय और पानी इन किसानों को उपलब्ध करवा रहे हैं.
इसके अलावा रात में सर्दी से बचाव हो सके इसके लिए गद्दे और रजाई का इंतजाम भी गांव के लोग ही कर रहे हैं. राजस्थन में गड्ढों में बैठकर कर सत्याग्रह का ये तरीका अब काफी ज्यादा चलन में आ चुका है. करीब डेढ़ साल पहले जयपुर के नींदड गांव के लोगों ने अपनी जमीन को जयपुर विकास प्राधिकरण के लिए दिए जाने से बचने के लिए कई दिनों तक जमीन समाधि सत्याग्रह किया गया था.
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