पसंद का मंत्रालय नहीं मिला तो छह दिनों तक घर में कैद हो गए कांग्रेस नेता, अब उद्धव ठाकरे ने मान ली मांग
महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद अभी भी राजनीतिक स्थिरता नहीं आई है. यहां पहले मंत्रालय बंटवारे में काफी विलंब हुआ उसके बाद अब कुछ मंत्री अपने मंत्रालय से खुश नहीं हैं. ऐसे ही एक कांग्रेस नेता ने पसंद का मंत्रालय नहीं मिलने के बाद खुद को घर में छह दिनों तक कैद कर लिया. अब उद्धव ठाकरे ने उनकी मांग मान ली है.
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मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री 6 दिनों तक कोप भवन में रहे और तभी बाहर निकले जब उनकी मांग मान ली गई. ये मंत्री हैं कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार जो कि खुद को मिले मंत्रालय से बेहद नाराज थे और बीते 6 दिनों से इन्होंने खुद को अपने बंगले में कैद कर रखा था. उद्धव ठाकरे की सरकार जब से बनी है तब से उसके सामने लगातार एक के बाद एक नई मुसीबत आ रही है. पहले तो विभागों के बंटवारे को लेकर तीनों ही पार्टियों में विवाद हुआ उसके बाद जब मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया तो तीनों ही पार्टियों के कई नेता मंत्री न बनाए जाने से नाराज हो गए. वो विवाद अभी थमा ही ना था कि कुछ ऐसे लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी जो कि मंत्री तो बना दिए गए लेकिन खुद को मनपसंद मंत्रालय ना मिलने से गुस्से में थे. पिछले विधानसभा में विजय वडेट्टीवार विपक्ष के नेता थे. तीन पार्टी वाली उद्धव ठाकरे की सरकार आने पर उन्हें भूकंप पुनर्विकास, नमक भूमि और ओबीसी का मंत्रालय दिया गया लेकिन वडेट्टीवार इससे नाखुश थे. उनकी मांग थी कि उन्हें मदद पुनर्विकास मंत्रालय भी दिया जाना चाहिए जो कि शिवसेना ने अपने हिस्से में ले लिया था. इससे नाराज होकर वडेट्टीवार ने अपने मंत्रालय का चार्ज नहीं लिया. तीन दिन पहले बुलाए गए विधानसभा के एक दिवसीय सेशन में भी वे शामिल नहीं हुए और ना ही मंत्रिमंडल बनने के बाद पहली कैबिनेट की बैठक में गए. वडेट्टीवार को मनाने के लिए बीते तीन दिनों से बालासाहेब थोरात और माणिककराव ठाकरे जैसे नेता उनके बंगले पर जा रहे थे लेकिन वे अपनी मांगों पर अडिग रहे. ना तो वडेट्टीवार अपने घर से निकले और ना ही मीडिया के सामने आए. आखिरकार सरकार को उनकी मांगों के सामने घुटने टेकने पड़े. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को उन्हें फोन कर बताया कि जो मंत्रालय वो चाहते हैं वो उन्हें दे दिया जाएगा. इसके बाद संबंधित मंत्रालय के सचिव को बंगले पर ही बुला कर वडेट्टीवार ने चार्ज लिया. इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी कोई नाराजगी नहीं थी. वे बस चाहते थे कि ग्रामीण इलाकों से जुड़े विभाग कांग्रेस को मिलें. वडेट्टीवार से पहले शिवसेना के अब्दुल सत्तार की नाराजगी की भी खबर आई थी. चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुए अब्दुल सत्तार इस बात से नाराज थे कि उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के बजाय राज्यमंत्री बनाया गया. उद्धव ठाकरे ने सत्तार से मुलाकात करके उनकी नाराजगी खत्म की.
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