Antilia Case: कैसे पकड़े गए मनसुख हिरेन के कातिल, ATS के हाथ लगी ये अहम ऑडियो क्लिप | एक्सक्लूसिव जानकारी
सूत्रों ने बताया कि 4 मार्च की रात 8 बजे से लेकर 8 बजकर 30 मिनट पर मनसुख को आखिरी व्हाट्सएप कॉल आया था, जिसे ढूंढना आसान बात नहीं थी.27 फरवरी को मनसुख और उनके भाई विनोद के बीच बातचीत हुई थी, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग अब एटीएस के हाथ लग गयी है.
मुंबई: देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटक मिलने के मामले में अब हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. काली एसयूवी के मालिक मनसुख हिरेन की मौत की जांच महाराष्ट्र एटीएस कर रही है. एटीएस के डीआईजी शिवदीप लांडे और उनकी टीम ने विनायक शिंदे नाम के निलंबित पुलिस कॉन्स्टेबल और नरेश गोर नाम के क्रिकेट बुकी को गिरफ्तार किया था. जानिए एटीएस ने कैसे इन लोगों को पकड़ा.
टेक्नोलॉजी से पकड़े गए टेक्नोलॉजी एक्पर्ट सचिन वाजे के गुर्गे
पुलिस विभाग में एपीआई सचिन वाजे को टेक्सेवी यानी कि टेक्निकल एक्सपर्ट भी माना जाता है, लेकिन अब इस मनसुख मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने भी जमकर टेक्निकल एक्सपर्ट की मदद ली और उसके गुर्गों को पकड़ ही लिया. सूत्रों ने बताया कि 4 मार्च की रात 8 बजे से लेकर 8 बजकर 30 मिनट पर मनसुख को आखिरी व्हाट्सएप कॉल आया था, जिसे ढूंढना आसान बात नहीं थी. इसी के चलते एटीएस ने महाराष्ट्र के जितने बड़े टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट है सबकी मदद लेनी शुरू कर दी.
एटीएस ने इससे पहले उस समय का, जब मनसुख ठाणे के घोडबंदर गए थे, डंप डेटा निकाला जिसमें एटीएस को 1000 से ज्यादा मोबाइल नम्बर मिले. सबकी जांच करने के बाद भी एटीएस के हाथ कुछ नहीं लगा. इसके बाद टेक्निकल टीम ने मनसुख की सभी व्हाट्सएप कॉल की डिटेल निकाली और किसी तरह से टीम ने मनसुख का आया आखिरी व्हाट्सएप कॉल ट्रेस कर एटीएस को दे दिया.
शिंदे ने मनसुख को किया था व्हाट्सएप कॉल
इसके बाद एटीएस ने उस शख्स की तलाश शुरू कर दी, जिसने अपने आपको तावड़े बताकर मनसुख को मिलने बुलाया था. टीम को पता चला कि वह नंबर गुजरात के अहमदाबाद में रजिस्टर है, जहां पर एटीएस की टीम ने रेड की. उसी रेड के दौरान एटीएस को नरेश गोर मिला और उसके साथ 15 वोडाफोन के सिम कार्ड भी बरामद हुए. जिसमें से कुछ कार्ड उसने वाजे को और एक सिम कार्ड विनायक शिंदे को दिया था. विनायक उसी कार्ड का इस्तेमाल कर वाजे से बातचीत करता था. उन्ही कार्ड में से एक कार्ड का इस्तेमाल कर शिंदे ने मनसुख को व्हाट्सएप कॉल किया था और अपने आपको तावड़े बताकर बातचीत की थी.
एटीएस अब भी इस बात की जांच कर रही है कि मनसुख की नजर में तावड़े कौन है, जिससे मिलने वो चले गए थे, कौन असली वाला तावड़े है. एटीएस को जांच में पता चला कि जिस समय मनसुख को मारा गया, उस समय शिंदे वहां पर मौजूद था. एटीएस को शुरुवाती जांच में पता चला है कि मनसुख को मारने से लेकर बॉडी रेती बंदर में डैम्प करने तक के कारनामे में 11 या फिर उससे ज्यादा लोगों का सहभाग है, जिसने कुछ पुलिस अधिकारी, उन 11 में से 3 लोग जस समय कार में मौजूद थेय एटीएस के सूत्रों ने बताया कि नरेश गोर को मुम्बई से और शिंदे को एटीएस के इंस्पेक्टर दया नाइक ने कलवा से गिरफ्तार किया.
सचिन वाजे की साजिश
19 मार्च को एटीएस ने कोर्ट में अपने जवाब में सेशन कोर्ट को बताया था कि सचिन वाजे ने यह दिखाने की कोशिश की थी कि जिस समय मनसुख की मौत हुई, उस समय वो वहां नहीं था ताकि उसपर कोई शक ना करे. एटीएस ने बताया कि 4 मार्च को जिस दिन मनसुख अचानक से गायब हो गया था, उस दिन सचिन वाजे के सीडीआर के मुताबिक, उसे किसी का एक भी फ़ोन नही आया था. ना ही उन्होंने किसी को फोन किया था. उनके फोन में उस दिन सिर्फ 8 मैसेज आये थे. जो कि मार्केटिंग (एडवर्टाइसमेन्ट वाले मैसेज) से संबंधित थे. इससे यह साबित होता है कि ऐसा उसने जानबूझकर किया था.
लेकिन वह उस समय बहुत लोगों के साथ व्हाट्सअप पर सम्पर्क में था और उसी साजिस के एक हिस्से के रूप में उसने उस दिन साउथ मुम्बई के डोंगरी इलाके बार मे रेड का दिखावा भी किया. जिसके लिए उसने बाकायदा डोंगरी पुलिस स्टेशन में जाकर स्टेशन डायरी में इसका उल्लेख किया, ताकि लोगों को विश्वास हो जाये कि हत्या की रात वह डोंगरी में था.
उस दिन वाजे ने रात करीब 11 बजकर 50 मिनट पर एक बार मे रेड की और रात 2 बजकर 20 मिनट पर रेड ख़तम की. उस दौरान उसे वहां उस बार में कस्टमर और स्टाफ के अलावा कुछ भी नहीं मिला था.
एटीएस ने बताया कि वाझे ने ही मनसुख को स्कॉर्पियो चोरी होने की एफआईआर दर्ज करवाने को कहा था और यह भी कहा था कि वो पुलिस को ना बताए कि यह स्कॉर्पियो वाझे नवंबर से लेकर 5 फरवरी तक चलाता था. मनसुख के भाई विनोद ने भी इन बातों का जिक्र अपने स्टेटमेंट में किया था. वाजे ने मनसुख को कहा था कि डरने की जरूरत नहीं है. मामले की जांच उसके पास ही आने वाली है.
मनसुख और विनोद हिरेन के बीच की बातचीत
27 फरवरी को मनसुख और उनके भाई विनोद के बीच बातचीत हुई थी, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग अब एटीएस के हाथ लग गयी है-
क्या है रिकॉर्डिंग में?
विनोद- नींद हो गयी क्या? क्या हुआ?
मनसुख- अब नहीं जाना पड़ेगा सारा स्टेटमेंट हो गया है.
विनोद- स्टेटमेंट में क्या लिखवाया, वह गाड़ी सचिन वाजे भी चलाते थे, बताया न स्टेटमेंट में?
मनसुख- ऐसा नहीं लिखवाया.
विनोद-- क्यों नहीं लिखवाया?
मनसुख- सचिन वाजे ने कहा था कि वो गाड़ी चलाते थे, यह बात मत बताना. इस वजह से वह बात मैंने स्टेटमेंट में कहा नहीं.
विनोद- तूने गलत लिखवाया है, इसपर कोई गड़बड़ी तो नहीं होगी न?
मनसुख- कुछ होगा नहीं साहब के पास ही मामला है.
विनोद- एटीएस वाले भी जानकारी निकलेंगें
मनसुख- साहब (वाजे) के पास सब पेपर हैं. साहेब ही मेन हैं. अब कुछ नहीं होगा.
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