नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में गिने जाने वाले अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अवमानना का दोषी करार दिया है. मामला एरिक्सन कंपनी के 550 करोड़ रुपए के कर्ज का है. अनिल की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन ने कोर्ट में वचन देने के बावजूद एरिक्सन के पैसे नहीं चुकाए. कोर्ट ने माना कि रिलायंस ने जानबूझकर कर उसे गुमराह किया. अनिल अंबानी के साथ उनके समूह के 2 बड़े अधिकारियों सतीश सेठ और छाया विरानी को भी अवमानना का दोषी ठहराया गया है.


हालांकि, अवमानना का दोषी करार देने के बावजूद कोर्ट ने रिलायंस को पैसे चुकाने का आखिरी मौका दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जो 550 करोड रुपए एरिक्सन को चुकाए जाने थे, वो अब ब्याज समेत दिए जाएंगे. अब तक कोर्ट में जमा 118 करोड़ रुपए तुरंत एरिक्सन को दे दिए जाएंगे. इसके अलावा 4 हफ्ते के भीतर रिलायंस 453 करोड़ रुपए देगा. अगर कंपनी ऐसा करने में नाकाम रहती है, तो उसके चेयरमैन अनिल अंबानी और दोनों अधिकारियों को 3 महीने की कैद की सजा मिलेगी. कोर्ट ने ये भी कहा है कि अवमानना के तीनों दोषी 1-1 करोड़ रूपया सुप्रीम कोर्ट की विधिक सहायता समिति में जमा कराएंगे. अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें 1 महीने की और सजा मिलेगी.


दरअसल, अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युयनिकेशन (आरकॉम) ने एरिक्सन से कर्ज लिया था. कर्ज़ अदा होने पर एरिक्सन ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाया. कहा कि आरकॉम को दिवालिया घोषित कर उसकी बिक्री की जाए. इससे मिले पैसों से उसके कर्ज़ का भुगतान हो. NCLT ने मामला विचार के लिए स्वीकार कर लिया.


इसके खिलाफ आरकॉम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. दावा किया कि मुकेश अंबानी की कंपनी जियो उसे खरीदने वाली है. इससे 5 हज़ार करोड़ रुपए मिलेंगे. आरकॉम ने कोर्ट में वचन दिया कि 30 सितंबर तक एरिक्सन का कर्ज चुका दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 23 अक्टूबर को एक बार फिर कोर्ट ने आरकॉम को 15 दिसंबर तक पैसे चुकाने का आदेश दिया. लेकिन इस बार भी पैसे नहीं दिए गए.


आखिरकार, 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी और समूह के 2 अधिकारियों को अवमानना का नोटिस जारी किया. 12 फरवरी को तीनों कोर्ट में पेश हुए और माफी मांगी. उनकी तरफ से कहा गया कि जियो के साथ सौदे की बात विफल हो गई है. कोर्ट NCLT में आरकॉम की दिवालिया प्रक्रिया को आगे चलने दे.


लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन और विनीत सरन की बेंच ने उनके माफीनामे को अस्वीकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि रिलायंस बहानेबाजी कर रहा है. उसने कोर्ट में दो बार पैसे चुकाने का वचन दिया. लेकिन उसका ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था. ये स्पष्ट रूप से अवमानना का मामला है.