पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी की पत्नी एलीजाबेथ एंटनी ने बेटे अनिल एंटनी के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने के फैसले को सही बताया है. अनिल एंटनी 6 अप्रैल को बीजेपी में शामिल हुए थे. इससे पहले वह कांग्रेस के डिजिटल मीडिया प्रभारी, एआईसीसी सोशल मीडिया और डिजिटल कम्युनिकेशंस सेल में विभिन्न पदों पर रह चुके थे. जनवरी में पीएम नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर बयान के बाद वह विवादों में आ गए और कांग्रेस के साथ मनमुटाव के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.


अब उनकी मां एलिजाबेथ एंटनी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह कह रही हैं कि अनिल को बीजेपी में शामिल होने के लिए मिले निमंत्रण के बारे में वह बहुत पहले से जानती थीं. एक ईसाई ध्यान केंद्र के यूट्यूब चैनल की ओर से जारी वीडियो में एलिजाबेथ ने कहा, 'मेरा बेटा 39 साल का हो गया... उसने मुझे फोन किया और कहा कि उसे प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया है और उन्होंने उसे बीजेपी में शामिल होने की बात कही है.' उन्होंने बताया कि बेटे के अच्छे भविष्य के लिए उन्होंने बहुत प्रार्थना की थी. एलिजाबेथ ने कहा कि वह और उनका परिवार कांग्रेस पार्टी में विश्वास करता है, लेकिन उनके बेटे ने उनसे कहा कि अगर वह बीजेपी में शामिल होंगे तो उन्हें अच्छे अवसर मिलेंगे. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बेटे के बीजेपी में शामिल होने पर एके एंटनी को झटका लगा था और उन्हें टीवी के जरिए इसका पता चला था. हालांकि, बाद में एके एंटनी ने बेटे के फैसले को स्वीकार कर लिया और कहा कि घर में राजनीति को लेकर चर्चा नहीं करेंगे.


अनिल एंटनी का राजनीतिक करियर
अनिल एंटनी टेक इंटरप्रेन्योर रह चुके हैं और उनकी पढ़ाई-लिखाई और पूरा बैकग्राउंड इंजीनियरिंग फील्ड का ही है. साल 2007 में उन्होंने तिरुवनंतपुरम के इंजीनियरिंग कॉलेज से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की और फिर अमेरिका की स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी से साइंस एंड इंजीनियरिंग में मास्टर्स की. साल 2019 में वह केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के डिजिटल मीडिया सेल में शामिल हुए थे और एआईसीसी सोशल मीडिया और डिजिटल कम्युनिकेशंस सेल के कन्वेनर भी रह चुके हैं. अनिल एंटनी ने ईसाई समुदाय से हैं और केरल ईसाई बहुल राज्यों में शामिल है. केरल में चुनावों में जीत के लिए ईसाई समुदाय के वोटबैंक की अहम भूमिका रहती है.


क्या बीजेपी को होगा फायदा?
अनिल एंटनी भले ही राजनीति में बड़े नेता न हों, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी का बेटा होने के नाते उनका सियासी कद काफी बढ़ जाता है. वहीं, बीजेपी में उनकी एंट्री पार्टी के लिए काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि पार्टी यहां लंबे समय से यहां राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी है. बीजेपी ने केरल में अब तक एक भी लोकसभा सीट नहीं जीती है. ऐसे में अनिल एंटनी का पार्टी में शामिल होना खास कदम माना जा रहा है क्योंकि एके एंटनी का ईसाई समुदाय पर काफी प्रभाव है और केरल में भी उनका अच्छा खासा वोट बैंक है. तो अब जब अनिल एंटनी बीजेपी का हिस्सा बने हैं तो पार्टी यहां अपना वोट बैंक बढ़ाने की पूरी कोशिश में होगी.


कांग्रेस से क्यों बनाई दूरी?
जनवरी, 2023 में गुजरात दंगों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर बीबीसी ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, जिसका नाम 'इंडिया: द मोदी क्वेशन' था. डॉक्यूमेंट्री को देश में बैन कर दिया गया था. इसे लेकर अनिल ने भी बीबीसी की आलोचना की थी, जिसे लेकर सियासी माहौल गरमा गया था. उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के विचारों को भारतीय संस्थानों के ऊपर रखना देश की संप्रभुता को कमजोर करेगा. अनिल एंटनी ने कहा था कि बीजेपी से वैचारिक मतभेद के बावजूद जो लोग ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के विचारों का समर्थन करते हैं वे खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं. इस बयान के बाद वह कांग्रेस नेताओं के निशाने पर आ गए और उनके पार्टी के साथ रिश्ते कमजोर होने लगे. इसके चलते उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था.


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