महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सीबीआई से पूछताछ में खुद पर लगे वसूली के आरोपों को राजनैतिक साजिश करार दिया और सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. पूर्व मुम्बई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए प्रति महीने वसूली करवाने के लिए मुम्बई पुलिस पर दबाव बनाने के आरोप पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने CBI को प्राथमिक जांच कर 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौपने को कहा था. बुधवार 14 अप्रैल को पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से CBI ने करीब 8 घंटे पूछताछ की थी. 


सीबीआई सूत्रों की माने तो अनिल देशमुख ने सीबीआई को बताया कि उनके खिलाफ परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोप सरासर झूठ और बेबुनियाद है. यह राजनीतिक षड्यंत्र है जिसके चलते परमबीर सिंह ने उन पर यह आरोप लगाया और आरोपों की चिट्ठी पहले मीडिया को दी. अनिल देशमुख से पूछताछ के लिए CBI द्वारा 60 से अधिक प्रश्नों की एक सूची तैयार की गई थी. कुछ सवालों के जवाब में, अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह और सचिन वज़े द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने सीबीआई से कहा कि आरोप सही नहीं हैं, निराधार हैं. उन्होंने सीबीआई अधिकारियों को यह भी बताया कि कुछ अधिकारियों द्वारा यह महाराष्ट्र राज्य और मौजूदा सरकार को बदनाम करने की कोशिश है. 


CBI सूत्रों के मुताबिक़, ज्यादातर आरोपो के जवाब पूर्व गृह मंत्री ने खंडन किया. अपने बचाव में, देशमुख ने जांचकर्ताओं को बताया कि परमबीर सिंह ने उनके खिलाफ पत्र लिखा था, क्योंकि एटीएस द्वारा एंटीलिया कांड मामले में परमबीर सिंह के हिस्से में मिली कुछ खामियों के बाद उन्हें ट्रांसफर कर दिया गया था. अनिल देशमुख ने सीबीआई को बताया कि परमबीर सिंह ने सचिन वाज़े को अपना बेहद खास बनाए रखा था और आवश्यकता से अधिक जिम्मेदारी सौंपी थी. गृह मंत्री पद पर रहने के दौरान यह भी बात सामने आएगी परमबीर सिंह ने एंटीलिया कांड के दौरान बहुत ही आधिकारिक जानकारी उन तक नहीं पहुंचाई.


उन्होंने कहा कि बजट सत्र के दौरान विधानसभा में विपक्ष के कुछ नेताओं ने हुक्का पार्लर से पैसे की उगाही पर सवाल उठाए थे. जिसके संदर्भ में मैंने परमबीर सिंह को तलब किया था और जानकारी पूछी थी कि यह मुंबई पुलिस की अधिकार क्षेत्र में क्या हो रहा है? मैंने कभी पैसे की उगाही या वसूली के लिए कोई बात नहीं की.


गौरतलब है कि, एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी राजू भुजबल ने मुंबई पुलिस (मुम्बई पुलिस की अंतरिम जांच) को दिए अपने बयान में पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि परमबीर सिंह द्वारा किया गया विवाद उतना सही नहीं था, जितना कि उन आरोप भरे पत्र में लिखे जानकारियों का था जो परमबीर सिंह ने लिखी थीं.