Anil Deshmukh Case: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच को प्रभावित करने के लिए देशमुख की टीम से रिश्वत लेने के आरोप में अपने सब-इंस्पेक्टर को बुधवार गिरफ्तार कर लिया. यह जानकारी अधिकारियों ने दी. उन्होंने बताया कि इससे पहले सीबीआई ने अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा और अपने सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की की थी.


सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने कहा, ‘‘सीबीआई ने अपने सब-इंस्पेक्टर, नागपुर के एक वकील और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ रिश्वत समेत कुछ आरोपों में मामला दर्ज किया है. मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने आज सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर लिया है. उक्त अधिवक्ता से पूछताछ की जा रही है. इलाहाबाद और दिल्ली में छापे मारे गए.’’


अनिल देशमुख को कथित तौर पर क्लीन चिट देने संबंधी प्राथमिक जांच की रिपोर्ट शनिवार रात लीक हो गई थी. अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने रिपोर्ट के लीक होने की जांच शुरू की जिसमें अब तक पता चला है कि देशमुख की टीम ने एजेंसी के एक उप निरीक्षक रैंक के अधिकारी को कथित तौर पर रिश्वत देकर उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) को प्रभावित करने की कोशिश की.


केंद्रीय एजेंसी ने बुधवार को अनिल देशमुख के दामाद गौरव चतुर्वेदी और वकील आनंद डागा से अपनी जांच को लेकर पूछताछ की जिसके बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि सीबीआई को अब तक चतुर्वेदी की संलिप्तता का पता नहीं चला है और उन्हें जाने दिया गया.


एक अधिकारी ने बताया, ‘‘अनिल देशमुख की टीम का प्रयास बम्बई उच्च न्यायालय की अवमानना है, जिसने निर्देश दिया था कि सभी संबंधित पक्षों को प्रारंभिक जांच करते समय सीबीआई का पूरा सहयोग करना चाहिए. इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि देशमुख की टीम ने पीई को प्रभावित करने की कोशिश की.’’ उन्होंने कहा कि उनका प्रयास सफल नहीं हो सका क्योंकि सीबीआई में एक प्रक्रिया है जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने से पहले रिकॉर्ड पर साक्ष्य और कानूनी राय भी दर्ज की जाती है. उन्होंने कहा, ‘‘वे उच्च स्तर पर लोगों को प्रभावित नहीं कर सके.’’


सीबीआई ने बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश पर एक प्रारंभिक जांच शुरू की थी. अदालत ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया था.  मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने देशमुख के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए थे और अदालत ने जांच एजेंसी को इन आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था. देशमुख ने इन आरोपों के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया है.


उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के बाहर एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले की जांच के दौरान सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की भूमिका सामने आई थी. इसके बाद सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था. वाजे को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. पुलिस आयुक्त के पद से हटाये जाने के बाद सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख ने वाजे को मुंबई के बार और रेस्तरां से एक महीने में 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूलने को कहा था.


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