Antilia Case: महाराष्ट्र (Maharashtra) के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) सचिन वाझे (Sachin Wajhe) पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि निलंबित आईपीएस (IPS) अधिकारी और मुंबई (Mumbai) के पूर्व पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner) परमबीर सिंह नहीं चाहते थे कि एंटीलिया मामले (Antilia case) की जांच एटीएस (ATS) को ट्रांसफर किया जाए. चांदीवाला आयोग (Chandiwala Commission) के सामने सवाल जवाब में अनिल देशमुख ने इस बात का खुलासा किया. आयोग के सामने उन्होंने कहा कि जब देशमुख से पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाझे के वकील योगेश नायडू सवाल जवाब कर रहे थे तब देशमुख ने कई खुलासे किए.


अनिल देशमुख ने कहा, ''जब एंटीलिया मामले की जांच मुंबई पुलिस से लेकर एटीएस को सौंपने की बात चल रही थी तब परमबीर सिंह नहीं चाहते थे की ऐसा हो. वह उस वक्त थरथरा रहे थे साथ की मना रहे थे की हमें ऐसा नहीं करना चाहिए.'' बता दें कि परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर बहुत ही गंभीर आरोप लगाए थे जिसके बाद इन आरोपों की जांच चांदीवाला आयोग कर रही है.


वकील योगेश नायडू ने जब देशमुख से पूछा की आपको कब लगा को वाझे जेनरल रिपोर्टिंग (हायरार्की प्रोटोकॉल) के नियमों का पालन नही करते. इसपर जवाब देते हुए देशमुख ने कहा की मैंने सबसे पहले वाझे का बिहेवियर पैटर्न 25 फ़रवरी को नोटिस किया था जब जिलेटिन से लदी स्कोर्पियो एंटीलिया के पास मिली थी और उस मामले की जांच का जिम्मा परमबीर सिंह ने वाझे को दिया था.


बता दें कि 1 मार्च को वाझे को इस जांच से हटा कर ACP नितिन अलकनुरे को जांच अधिकारी बनाया गया था. 5 मार्च को विधानसभआ में विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़नवीस ने एंटीलिया मामले और मनसुख हिरेन की हत्या का मुद्दा उठाया और फिर सचिन वाझे के ट्रांसफ़र या निलंबन की मांग की.


अनिल देशमुख ने कहा कि उस समय मैंने तीन अ्य अधिकारियों की उपस्थिति में तत्कालीन मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को विधानसभा के चैंबर में बुलाया और पूछा कि आप सरकार को एंटीलिया और मनसुख हत्या मामले में कैसे अंधेरे में रख सकते हैं. उस समय परमबीर सिंह थरथरा रहे थे जब हमने एंटीलिया मामले की और जानकारी मांगी. उस वक्त उन्होंने कहा कि मुझे बिलकुल नहीं मालूम की वाझे इन सबमें कैसे शामिल हो गया.


कुछ वरिष्ठ अधिकारी जो उस मीटिंग में थे उन लोगों ने भी कहा की इस मामले को एटीएस को ट्रांसफ़र कर देना चाहिए. उस वक्त परमबीर सिंह ऐसा नहीं होने देना चाह रहे थे और वो इस मामले की जांच मुंबई पुलिस के पास ही रहे ऐसा करने के लिए वह कई तर्क भी दे रहे थे.


अनिल देशमुख ने कहा कि इसके बावजूद मामले को ATS के पास ट्रांसफ़र कर दिया गया और 7 मार्च को ATS ने इस मामले में हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दिया. बता दें कि इस मामले की सुनवाई चांदीवाल कमीशन ने लगभग पूरी कर ली है और फरवरी के अंत तक रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा सकती है.


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