मुंबई: उगाही केस में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि सीबीआई की पूछताछ के दौरान मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और एनआईए की हिरासत में गिरफ्तार पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे ने अपने बयानों में पूर्व गृह मंत्री पर अनेक आरोप लगाए. सीबीआई ने इस मामले में आज कुल 4 लोगों के बयान दर्ज किए, जबकि परमबीर सिंह और सचिन वाजे से लगातार दूसरे दिन बयान दर्ज किए गए.


सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक आज जिन लोगों के बयान दर्ज किए गए, उनमें पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और एनआईए कस्टडी में गिरफ्तार पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे के अलावा शिकायतकर्ता जयश्री और मुंबई पुलिस के एसीपी संजय पाटिल के बयान भी शामिल हैं. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक सीबीआई को इस मामले में 15 दिनों के भीतर अपनी शुरुआती जांच पूरी करनी है, लिहाजा दिल्ली से 12 अधिकारियों-कर्मचारियों की विशेष टीम मुंबई पहुंची हुई है. इस विशेष टीम में सीनियर एसपी लेबल के दो अधिकारी भी शामिल है.


आरोपों को दोहराया


सीबीआई सूत्रों के मुताबिक पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अपने बयानों के दौरान उन तमाम आरोपों को दोहराया, जो उन्होंने अपने ईमेल में लिखे थे. अपने बयान दर्ज कराए जाने के दौरान उन्होंने एसीपी संजय पाटिल के जरिए मोबाइल पर भेजे गए मैसेज को भी सीबीआई अधिकारियों को दिया. इस मैसेज के आधार पर सीबीआई अधिकारियों ने एसीपी पाटिल से भी लंबी पूछताछ की. पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अपने बयानों के दौरान सिलसिलेवार तरीके से यह भी बताया कि सचिन वाजे की नियुक्ति किस आधार पर और किसके निर्देश पर क्राइम ब्रांच में की गई थी.


सूत्रों के मुताबिक एनआईए कस्टडी में मौजूद मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर सचिन वाजे ने अपने बयानों के दौरान पूर्व गृह मंत्री समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और एक अन्य मंत्री के बारे में भी सिलसिलेवार तरीके से खुलासे किए हैं. सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जो बयान दर्ज किए गए हैं उनके क्या तथ्य और सबूत हो सकते हैं, इस बारे में भी इन लोगों से जानकारी मांगी गई है. सीबीआई की पूछताछ का दौर शुक्रवार को भी जारी रहेगा.


बता दें कि मुंबई हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस बहुचर्चित मामले में शुरुआती जांच का मामला दर्ज किया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख सहित महाराष्ट्र सरकार को भी कोई राहत नहीं मिल सकी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेशों में कोई भी दखल देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया.


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